नई दिल्ली। अशोक गहलौतगांधी परिवार के लिए विश्वनीय कांग्रेसियों में शुमार हैं। वे ही इस समय पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। अशोक गहलौत के कारण कांग्रेस के हाथ से राजस्थान से की सत्ता फिसलती जा रही है। लगता है कि आने वाले दिनों में अशोक गहलौत न घर के रहेंगे न घाट के !
गहलौत से राजस्थान को मुख्यमंत्री की गद्दी तो छिन ही रही है। उनके लिए कांग्रेस अध्यक्ष बनना भी अब आसान नहीं रहा। पिछले दो दिन से राजस्थान की सियासत भारी उथल पुथल के लिए अशोक गहलौत ही जिम्मेदार हैं। गहलौत के समर्थन में 92 कांग्रेस विधायक स्वेच्छा से इस्तीफा दे चुके हैं।
इस प्रकरण में फिलहाल राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी चुप्पी साधे हैं। उन्होंने इन विधायकों के इस्तीफे न तो स्वीकार किये हैं और न ही अस्वीकार। ये इस्तीफे गहलौत के इशारे पर ही दिये गये हैं।
दरअसल अशोक गहलौत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते। जब सोनिया ने उन्हें बुलाकर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने का निर्देश दिया तो वे इंकार नहीं कर सके थे।
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गहलौत जानते थे कि इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। वे नहीं चाहते कि सचिन पायलट राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाये जाएं। हालांकि सोनिया गांधी उप मुख्यमंत्री सचिन को मुख्यमंत्री बनाये जाने के पक्ष में थीं।
अशोक गहलौत समर्थक 92 विधायकों से इस्तीफे से राजस्थान कांग्रेस में दो फाड़ हो गयी है। इससे सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं कमजोर हो गयीं हैं। मंगलवार को सचिन ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।