Ayodhya Latest News: भव्य राम मंदिर को मिला ‘टाइटेनियम का वरदान’! ऐसा करने वाला दुनिया का पहला मंदिर
अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर अब सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग और मजबूती का भी एक मिसाल बनने जा रहा है! आपको जानकर हैरानी होगी कि राम मंदिर अपनी असाधारण मजबूती के लिए टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल कर रहा है, और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला मंदिर बन गया है!
Ayodhya Latest News: अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर (ayodhya ram mandir) अब सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग और मजबूती का भी एक मिसाल बनने जा रहा है! आपको जानकर हैरानी होगी कि राम मंदिर अपनी असाधारण मजबूती के लिए टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल कर रहा है, और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला मंदिर बन गया है! मंदिर की भव्यता और मजबूती के लिए टाइटेनियम की 32 जाली लगाने का काम तेजी से जारी है।
ट्रस्ट से हरी झंडी मिलने के बाद, टाइटेनियम (titanium) से बनी इन जालियों को अब पूरे मंदिर में लगाया जाएगा। आखिर क्यों है ये इतना खास? क्योंकि टाइटेनियम की खासियत है कि इसका जीवनकाल +1000 साल से भी ज्यादा होता है, जो मंदिर को सदियों तक अटल खड़ा रखेगा।
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15 अगस्त तक ‘नया आयाम’
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि यह सचमुच गर्व का विषय है कि राम मंदिर अपने निर्माण में टाइटेनियम का उपयोग करने वाला दुनिया का पहला मंदिर है। टाइटेनियम की इन जालियों को मंदिर के भूतल, प्रथम और द्वितीय तल पर लगाया जा रहा है, और यह सारा काम 15 अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है।
मिश्र ने मंदिर निर्माण की गति पर संतोष जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जुलाई महीने के आखिर तक प्लिंथ और परकोटा पर रामकथा उकेरने का काम भी पूरा हो जाएगा।
सागौन की लकड़ी और भव्य रामकथा
अध्यक्ष ने आगे बताया कि मंदिर और परकोटा में लगभग 14 लाख क्यूबिक फीट वंशी पहाड़पुर के पत्थर का इस्तेमाल होना था, जिसमें से 13 लाख क्यूबिक फीट पत्थर पहले ही लग चुका है। इसके साथ ही, मौजूदा अस्थायी मंदिर के आकार का एक मंदिर सागौन की लकड़ी से तैयार किया जाएगा। इस लकड़ी के मंदिर को सभी मौसमों से बचाने के लिए शीशे का कवर भी लगेगा।
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मंदिर के निचले प्लिंथ पर 800 फीट की लंबाई में रामकथा को जीवंत करने का काम जारी है, जिसमें से 500 फीट पर रामकथा के भव्य भित्ति चित्र (म्यूरल) लग चुके हैं। वहीं, परकोटा में कांस्य के 80 म्यूरल लगने थे, जिनमें से लगभग 45 स्थापित हो चुके हैं। मिश्र ने भरोसा दिलाया कि बाकी काम भी तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा।
यह सब देखकर लगता है कि अयोध्या का राम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आधुनिक इंजीनियरिंग और प्राचीन शिल्प का एक अद्भुत संगम बनने जा रहा है।
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