Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले! मानवता के लिए चुनौती,अत्याचार, जबरन धर्मांतरण और सरकारी चुप्पी ने हालात किए बदतर
बांग्लादेश में इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदर्शन किए। लेकिन इन आंदोलनों को कुचलने के लिए सरकार ने झूठे मुकदमे दर्ज कर उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया। यह न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा, संपत्ति कब्जा, महिलाओं के साथ बलात्कार और जबरन धर्मांतरण की घटनाओं ने एक गंभीर मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। कट्टरपंथी ताकतों द्वारा योजनाबद्ध हमलों के बीच, हिंदू समाज को हर स्तर पर निशाना बनाया जा रहा है।
सरकार और प्रशासन की नाकामी
हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना तो दूर, बांग्लादेश सरकार और प्रशासन इन हमलों पर मूकदर्शक बने हुए हैं। कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हिंदू परिवारों को उनकी जमीन और संपत्तियों से बेदखल किया जा रहा है। साथ ही, महिलाओं को विशेष रूप से हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है।
शांतिपूर्ण विरोध पर भी दमन
बांग्लादेश में इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदर्शन किए। लेकिन इन आंदोलनों को कुचलने के लिए सरकार ने झूठे मुकदमे दर्ज कर उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया। यह न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
भारत के लिए नई चुनौती, गाजियाबाद से उठी वैश्विक अपील
भारत, जो बांग्लादेश का निकटतम पड़ोसी है, पर इस स्थिति में बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। गाजियाबाद समेत पूरे भारत में हिंदू समाज ने माननीय राष्ट्रपति से अपील की है कि वे बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव बनाएं।
गाजियाबाद के हिंदू समाज की प्रमुख मांगें:
- बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार ठोस कदम उठाए।
- झूठे मामलों में फंसे हिंदू नेताओं को अविलंब रिहा किया जाए।
- बांग्लादेश को दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता पर रोक लगाई जाए।
- हिंदू समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त वार्ता की जाए।
विश्व समुदाय की चुप्पी पर सवाल
क्या मानवाधिकारों का मतलब चुनिंदा समुदायों तक सीमित है? बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही इस क्रूरता पर दुनिया के प्रमुख मानवाधिकार संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी चिंताजनक है। यह खामोशी उन मूलभूत मूल्यों का हनन करती है, जिन पर वैश्विक मानवाधिकार आंदोलन आधारित हैं।
अब निर्णायक कार्रवाई का समय
हिंदू समाज पर हो रहे इन अत्याचारों को केवल बांग्लादेश का आंतरिक मामला कहकर टाला नहीं जा सकता। भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षा और न्याय मिले।