Butterfly Museum Bhimtal: भीमताल का अनोखा बटरफ्लाई म्यूजियम, तितलियों की रंगीन दुनिया का दुर्लभ खजाना
उत्तराखंड के भीमताल में स्थित बटरफ्लाई म्यूजियम तितलियों की दुर्लभ और रंगीन दुनिया का अद्वितीय खजाना है। यह म्यूजियम रिसर्च सेंटर के रूप में भी कार्य करता है, जिसमें 4000 से अधिक तितलियों का संग्रह है। पर्यटन, शिक्षा और जैव विविधता संरक्षण का यह केंद्र पर्यटकों को अनूठा अनुभव प्रदान करता है।
Butterfly Museum Bhimtal: उत्तराखंड का भीमताल क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटक स्थलों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां स्थित बटरफ्लाई म्यूजियम इसे और भी खास बना देता है। यह अनूठा म्यूजियम न केवल देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि वन्यजीव प्रेमियों और शोधार्थियों के लिए भी जानकारी का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है।
तितलियों का समृद्ध संग्रह, रिसर्च के लिए स्वर्ग
भीमताल में स्थित यह बटरफ्लाई म्यूजियम दरअसल एक रिसर्च सेंटर के रूप में भी कार्य करता है, जिसे ‘बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर’ कहा जाता है। यहां करीब चार हजार तितलियों और विभिन्न कीट-पतंगों का संग्रह किया गया है। यह सेंटर तितलियों की प्रजातियों, उनकी आदतों और जीवनचक्र पर शोध करने वालों के लिए एक आदर्श स्थल है।
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स्मेटसेक परिवार की पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा
बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर की स्थापना 1846 में फ्रेडरिक स्मेटसेक सीनियर और उनके पुत्र फ्रेडरिक स्मेटसेक जूनियर ने की थी। भारत में ‘बटरफ्लाई मैन’ के नाम से मशहूर फ्रेडरिक स्मेटसेक सीनियर का सपना था कि तितलियों के संरक्षण और अध्ययन के लिए एक समर्पित स्थल हो। अब इस परंपरा को उनके उत्तराधिकारी पीटर स्मेटसेक आगे बढ़ा रहे हैं।
दुर्लभ और विलुप्त होती तितलियों का जीवंत प्रदर्शन
इस संग्रहालय की दीवारों पर रंग-बिरंगी तितलियों की श्रृंखला किसी कलाकार की कल्पना जैसी प्रतीत होती है। यहां कुछ ऐसी प्रजातियां भी संरक्षित हैं जो अब विलुप्त हो चुकी हैं। इनकी पहचान, विशेषताएं और प्राकृतिक भूमिका को समझाने के लिए विस्तृत जानकारी भी दी गई है। रिसर्च सेंटर में विषैली तितलियों के नमूने भी प्रदर्शित हैं, जिससे तितलियों की जैव विविधता का अद्भुत चित्र सामने आता है।
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गोल्डन बर्ड विंग से लेकर कॉमन पीकॉक तक
रिसर्च सेंटर में भारत की सबसे बड़ी तितली ‘गोल्डन बर्ड विंग’ और उत्तराखंड की राज्य तितली ‘कॉमन पीकॉक’ के अद्भुत नमूने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके अलावा ‘पारनासियस’ जिसे स्नो अपोलो भी कहा जाता है, और ‘एक्टियास लूना’ जैसी दुर्लभ प्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं।
कीट-पतंगों की विविधता भी आकर्षण का केंद्र
म्यूजियम में तितलियों के अलावा अटाकस एटलस जैसे दुनिया के सबसे बड़े कीट, बीटल्स, बिच्छू और अन्य कीट-पतंगों की भी कई दुर्लभ प्रजातियां मौजूद हैं। यह सभी जैव विविधता को समझने और प्राकृतिक संतुलन के महत्व को रेखांकित करती हैं।
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प्राकृतिक परिवेश और औपनिवेशिक वास्तुकला का अद्वितीय संगम
यह रिसर्च सेंटर एक औपनिवेशिक शैली के पुराने बंगले में स्थित है, जो खुद में ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। बंगले के चारों ओर फैले देवदार और बांज के घने जंगल न केवल इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि यहां घूमते वन्यजीवों को भी आसानी से देखा जा सकता है। यह प्राकृतिक सौंदर्य म्यूजियम के अनुभव को और भी समृद्ध बनाता है।
शिक्षा और संरक्षण का केंद्र बना बटरफ्लाई म्यूजियम
बटरफ्लाई म्यूजियम न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि तितलियों और कीटों के संरक्षण के लिए एक जागरूकता अभियान भी चला रहा है। यहां आने वाले छात्र, शोधार्थी और आम पर्यटक जैव विविधता को समझने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा भी लेकर लौटते हैं।
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