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Cancer Cases in India: लांसेट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, भारतीय युवाओं में बढ़ रहे हैं ब्लड कैंसर के मामले

Big disclosure in Lancet report, cases of blood cancer are increasing among Indian youth

Cancer Cases in India: भारत में रक्त कैंसर (Blood cancer) के मामले से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है। मेडिकल जर्नल लैंसेट (medical journal Lancet) में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, देश में युवा लोग ब्लड कैंसर से प्रभावित हो रहे हैं। इसमें कहा गया है कि तीस से चालीस वर्ष की आयु के लोग इस बीमारी से सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

पूरे देश में रक्त कैंसर (Blood cancer) के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा चौका देने वाली बात यह हैं कि इस बिमारी की चपेट में युवा आ रहे है। चिकित्सकों ने भारत में 30 से 40 वर्ष की आयु के युवा व्यक्तियों में क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (CML) के निदान में उल्लेखनीय वृद्धि की सूचना दी है। चिकित्सकों ने कहा कि CML, या क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया, एक असामान्य बीमारी है। हालाँकि, इसका इलाज संभव है। इस रक्त कैंसर कहा जाता है। CML का बोन मैरो पर प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप न्यूट्रोफिल (Neutrophils), बेसोफिल (basophils), ईोसिनोफिल (eosinophils ) और मोनोसाइट्स (monocytes ) जैसी कोशिकाएँ घातक हो जाती हैं जो आमतौर पर श्वेत रक्त कोशिकाओं में विभेदित हो जाती हैं।

लांसेट की स्टडी में सामने आई बात

वैश्विक स्तर पर सीएमएल बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है। एक अनुमान के मुताबिक यह 12 से 15 लाख व्यक्तियों को प्रभावित करता है। यह बीमारी इतने ज्यादा तौर पर फैलने के बावजूद सीएमएल ल्यूकेमिया (CML Leukemia ) के अन्य रूपों की तुलना में अपेक्षाकृत दुर्लभ है। इसमें ल्यूकेमिया के सभी मामलों का लगभग 15 प्रतिशत शामिल है। हाल ही में लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस बीमारी से बहुत कम उम्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं। भारत में इसके अधिकांश रोगी 30-40 वर्ष की आयु के हैं। इसके विपरीत, पश्चिमी देशों में यह बीमारी 64 वर्ष की आयु में पाई जाती है।

हर महीने 5-10 नए रोगी

बैंगलोर के एचसीजी कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर केयर हॉस्पिटल (HCG Comprehensive Cancer Care Hospital ) के वरिष्ठ हेमेटोलॉजिस्ट (Hematologist) और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट के.एस. नटराज (Hemato-Oncologist K.S. Nataraj) ने अनुमान लगाया कि वे हर महीने पांच से दस नए सीएमएल रोगियों को देखते हैं। उसी समय दस से पंद्रह और रोगी फॉलो-अप के लिए आते हैं। उन्होंने दावा किया कि चूंकि अधिक लोग बीमारी के बारे में जागरूक हो रहे हैं, इसलिए रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। जब रोगी सामान्य जांच के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर परीक्षण का सुझाव देते हैं, तो डब्ल्यूबीसी की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि पाई जाती है।

ये हैं बीमारी के लक्षण

अगर समय रहते इसका पता चल जाए और इसका उचित उपचार किया जाए, तो CML का इलाज संभव है। पसीना आना, वजन कम होना, बुखार, हड्डियों में दर्द और तिल्ली का बढ़ना CML के सामान्य लक्षण हैं। आईएएनएस को एम्स नई दिल्ली में हेमेटोलॉजी प्रोफेसर तूलिका सेठ (Hematology Professor Tulika Seth) ने बताया, “क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया का इलाज संभव है।” लेकिन इस बीमारी से लड़ने के लिए बहुत सावधानी से संतुलन बनाए रखना जरूरी है। नियमित जांच और लगातार दवा लेना इस बीमारी से उबरने के सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं। व्यक्तिगत उपचार योजनाओं और निगरानी से CML का इलाज किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सीएमएल के इलाज के दौरान प्रत्येक चरण में अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लगातार निगरानी को प्राथमिकता देने के साथ उपचार का पालन करते हुए इलाज में प्रगति को अपनाना महत्वपूर्ण है।

Prachi Chaudhary

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