Bihar News: बिहार के सीएम नीतीश कुमार का विपक्षी एकता का अभियान अब रंग लाता दिख रहा है। कई महीने से विपक्षी नेताओं की परिक्रमा कुमार करते रहे और अब पटना में सब जुटने को तैयार हैं। कहा जा रहा है कि पटना में 12 तारीख को विपक्षी नेताओं का महा जुटान होगा। इतना बड़ा जुटान कभी नहीं हुआ था। इस जुटान में वे सभी दल आएंगे जो इससे पहले एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते थे ,एक दूसरे को मात देने में जुटते थे और एक और एक दूसरे पर तंज कसने से बाज नहीं आते थे। इस महाजूटान पर देश की निगाहें लगी है। इस जुटान का भविष्य क्या होगा इसके बारे में तो अभी कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन कहा जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक से नीतीश के बनाये रोड मैप के हिसाब चलता रहा है तो अगले चुनाव का स्वरूप महाभारत वाली होगी। कौरव और पांडव की लड़ाई। तब कौरव की हार हुई थी। लेकिन इस खेल में कौन कौरव है और कौन पांडव इसे अभी परिभाषित नहीं किया जा सकता। एक तरफ विपक्षी पार्टियां है तो दूसरी तरफ बीजेपी की समर्थक पार्टियां। बीजेपी के पास अभी दर्जन भर से ज्यादा पार्टी है।
पटना का महाजूटान न सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए हो रहा है बल्कि देश के भीतर जो स्थिति पैदा हो गई है उसे भी रोकने के लिए की जा रही है। इस बैठक में कौन शामिल होगा और कौन नहीं आएगा इसे भी देखने की जरूरत है। लेकिन पटना में हंगामा इस बात को लेकर हो रहा है कि देश की 18 से ज्यादा पार्टियां एक मंच पर आएगी और मोदी सरकार को अपदस्थ करने का ऐलान करेगी। हलाकि इस तरह की कहानी कोई पहली बार देश के भीतर नहीं रची जा रही है। 1977 में भी कांग्रेस के खिलाफ कई दलों ने आपसी गठबंधन करके जनता पार्टी का निर्माण किया था और कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था। फिर 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में विपक्षी एकता बनी थी। सरकार बदल गई थी। लेकिन अब जो होने जा रहा है उसकी कहानी ये है कि जो दल आज बीजेपी के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए एक मंच पर आने को तैयार हैं उनमे से अधिकतर दल बीजेपी के संग रह चुके हैं और सत्ता का सुख भी भोग चुके हैं। लेकिन आज सबसे ज्यादा यही पार्टी बीजेपी से आज्ज हो चुकी है क्योंकि जिन राज्यों में इनकी सरकार है या विपक्ष में खड़ी है ,इनके खिलाफ बीजेपी और केंद्र सरकार करवाई करती दिख रही है। यही वह बिंदु है जो सभी एक मंच पर लाने को विवश कर रहा है।
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पटना में में जो उद्घोष होना है उसमे किसके स्वर गूंजेंगे इसे देखना है। कहा जा रहा है कि पटना के उद्घोष में खड़गे की आवाज भी होगी तो केजरीवाल का हल्ला बोल भी होगा। यहाँ से अखिलेश यादव भी बोलेंगे ,ममता भी गरजेंगी। इसके साथ ही हेमंत ,डी राजा ,स्टालिन,नवीन पटनायक ,येचुरी ,पवार और उद्धव ठाकरे भी अपनी बात रखेंगे। अगर एक दूसरे पर विश्वास हो गया और कोई कारगर फार्मूला निकल गया तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती ै। बीजेपी की बड़ी चिंता यही है। और पिछले दो दशक के बाद पहली बार बीजेपी विपक्ष के सामूहिक निशाने पर होंगी। अब तक विपक्ष एक जुट होकर कांग्रेस पर वार करता रहा है। यह पहला मौका है जब विपक्ष बीजेपी पर वार करेगा।