SliderTo The Pointउत्तराखंडचटपटीट्रेंडिंगन्यूज़

उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग को बढ़ावा देने की बड़ी पहल: पर्यटन के नए आयाम

Big initiative to promote bird watching in Uttarakhand: New dimensions of tourism

Bird Watching in Uttarakhand: उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग को पर्यटन के रूप में उभरने की संभावनाएं तलाशने के लिए पहली बार बड़ा कदम उठाया जा रहा है। उत्तराखंड वन विभाग, पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ मिलकर पक्षी अवलोकन के लिए संभावित बाजार का आकलन करने की तैयारी में है। यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बर्ड वाचिंग पर्यटन के रूप में पहले से ही स्थापित है, लेकिन भारत में इसे एक बड़े पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित करने की दिशा में कम ही काम हुआ है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में बर्ड वाचिंग पर्यटन को एक नया आयाम देना है और इसे आर्थिक रूप से लाभदायक बनाना है।

बर्ड वाचिंग: पर्यटन के नए अवसर

उत्तराखंड में कई वर्षो से बर्ड वाचिंग फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है। हाल ही में 18 से 20 अक्टूबर तक मसूरी के बिनोव क्षेत्र में तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जहां देशभर से सैकड़ों बर्ड वाचर्स आए। यह पहल राज्य में नए बर्ड वाचिंग स्थलों को प्रमोट करने का हिस्सा है। फिलहाल, उत्तराखंड में मुनस्यारी, पवलगढ़, देवलसारी, चौपता, और पंगोट जैसे 15 प्रमुख बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन मौजूद हैं, जिन्हें अब और भी अधिक प्रमोट किया जाएगा।

डॉ. धनंजय मोहन का नेतृत्व: विशेषज्ञता का लाभ

उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक, डॉ. धनंजय मोहन, बर्ड वाचिंग और कंजर्वेशन के विशेषज्ञ हैं। वे वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्होंने पक्षी संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी किताब और 45 शोध पत्र इस बात का प्रमाण हैं कि वे बर्ड वाचिंग के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं। डॉ. मोहन का मानना है कि उत्तराखंड की वन संपदा और यहां पाई जाने वाली 268 पक्षी प्रजातियों के कारण बर्ड वाचिंग को पर्यटन के रूप में उभारा जा सकता है।

बर्ड वाचिंग इंडस्ट्री का वैश्विक बाजार और भारत में संभावनाएं

बर्ड्स काउंट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में बर्ड वाचिंग पर्यटन का बाजार हर साल 8 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। यूरोप में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, और नीदरलैंड प्रमुख बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन हैं। इन देशों में बर्ड वाचिंग को एक उद्योग के रूप में विकसित किया गया है। भारत में भी इस पर्यटन के उभरने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में देश में 45,000 बर्ड वाचर्स थे, जो 2025 तक 2 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है।

उत्तराखंड में पक्षियों की प्रजातियों का महत्व

उत्तराखंड में पक्षियों की 268 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसे भारत में बर्ड वाचिंग के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य बनाती हैं। केवल महाराष्ट्र ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां इससे अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। तीसरे स्थान पर कर्नाटक है, जहां 267 प्रजातियां पाई जाती हैं। इन प्रजातियों की विविधता को देखते हुए वन विभाग बर्ड वाचिंग को एक प्रमुख पर्यटन के रूप में उभरता देखना चाहता है।

बर्ड वाचिंग के नए क्षेत्रों का फोकस और महिला सहभागिता को बढ़ावा

वन विभाग की योजना है कि उन क्षेत्रों को प्रमोट किया जाए, जहां पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां तो हैं, लेकिन बर्ड वाचर्स की संख्या कम है। इसके अलावा, महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए भी नए प्रयास किए जा रहे हैं। बर्ड वाचिंग के दौरान महिलाओं की कम भागीदारी को ध्यान में रखते हुए, वन विभाग महिला वाचर्स को अधिक प्रेरित करने का प्रयास कर रहा है।

र्ड वाचिंग के दौरान सही प्रैक्टिस को सुनिश्चित करना

बर्ड वाचिंग के दौरान सही प्रैक्टिस का पालन करना भी वन विभाग की प्राथमिकता में है। कुछ बर्ड वाचर्स द्वारा अपनाई गई गलत प्रैक्टिस जैसे पक्षियों के घोंसलों के पास जाना, आर्टिफिशियल खाने की चीजों का उपयोग करना, या तेज आवाज में म्यूजिक बजाना, पक्षियों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसको रोकने के लिए वॉलंटियर्स के माध्यम से जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है और देशभर में एक बड़े ग्रुप को इस पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

भविष्य की दिशा और संभावनाएं

उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग को पर्यटन के रूप में विकसित करना एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन वन विभाग और स्थानीय विशेषज्ञ इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो उत्तराखंड देश और विदेश के बर्ड वाचर्स के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन सकता है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचेगा और स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

बर्ड वाचिंग न केवल पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकता है। उत्तराखंड का यह कदम पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button