Gyanvapi case ASi Report: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( ASI) के सर्वे के बाद भी वाराणसी में ज्ञानवापी के 3 रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। इन रहस्यों में एक बड़ा कुआं और पूर्वी दीवार है, जिसे रिपोर्ट में चुनाई कर बंद करना बताया गया है। इसके अलावा मस्जिद के नीचे मिले बड़े कुएं और वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति का सच भी सामने आना बाकी है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद भी ज्ञानवापी के 3 ऐसे रहस्य हैं, जिससे पर्दा उठना बाकी है। रहस्यों में प्रमुख एक बड़ा कुआं और पूर्वी दीवार है, जिसे सर्वे रिपोर्ट में चुनाई कर बंद करना बताया गया है। अदालत के आदेश के मुताबिक अब तक का सर्वे बिना खोदाई किए वैज्ञानिक तौर पर किया गया, इसलिए बंद पूर्वी दीवार के पीछे क्या है, इसका पता नहीं चल सका है। वहीं, सर्वे में मस्जिद के नीचे मिले बड़े कुएं को लेकर भी रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
तीसरा रहस्य वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति है। वजूखाने का फिलहाल सर्वे न होने से आकृति की वास्तविकता सामने नहीं आ सकी है। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू पक्ष की ओर से इन रहस्यों पर से पर्दा उठाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी देने की तैयारी है। इसके माध्यम से वजूखाने का एएसआई सर्वे कराने का अनुरोध करने के साथ ही और पुख्ता साक्ष्य एकत्र करने के लिए अयोध्या (Ayodhya) के श्रीराम (shriram) जन्मभूमि की तरह ही ज्ञानवापी में भी खोदाई की अनुमति दिए जाने की मांग की जाएगी। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा।
मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे मंदिर का गर्भगृह
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी में वर्तमान ढांचे (मस्जिद) से पहले जिस हिंदू मंदिर होने का उल्लेख है, उसे नागर शैली का बताया गया है। रिपोर्ट में मंदिर के चार खंभों से ढांचे तक की परिकल्पना बताई गई है। एएसआई ने मंदिर का नक्शा नहीं बनाया है, मगर रिपोर्ट में मंदिर के प्रवेश, मंडप और गर्भगृह का जिक्र है। जीपीआर सर्वे में मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे पन्नानुमा टूटी वस्तु मिली है। यह वह हिस्सा है जहां पूर्वी दीवार को बंद किया गया है। इसके आगे का हिस्सा प्राचीन मंदिर का गर्भगृह होने की संभावना जताई जा रही है।
बीएचयू के आर्कियोलॉजिस्ट प्रो. अशोक सिंह का कहना है कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की रिपोर्ट ज्ञानवापी में तहखाने के करीब छह फीट नीचे मंदिर के मिले अवशेषों के 2000 साल पुराना होने का इशारा करती है। सर्वे में पत्थर से निर्मित जो विग्रह मिले हैं, उनमें सबसे ज्यादा 15 शिवलिंग हैं। इसके अलावा 18 मानव की मूर्तियां, तीन जानवरों की मूर्ति और विभिन्न काल के 93 सिक्के मिले हैं। 113 धातु की सामग्रियां भी मिलीं हैं।
कई आधुनिक तकनीकों का प्रयोग
ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे में 8 तरह की आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया गया। इसमें डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS), ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR), हैंडहेल्ड एक्सआरएफ, थर्मो हाइग्रोमीटर, GPS मैप, टोटल स्टेशन सर्वेक्षण, एएमएस या एक्सेलेटर मास, स्पेक्ट्रोमेट्री, ल्यूनिनसेंस डेटिंग विधि के साथ ही नौ तरह के डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल किया गया। एएसआई के सर्वे विशेषज्ञों में प्रो. आलोक त्रिपाठी के साथ डॉ. अजहर आलम हाशमी और डॉ. आफताब हुसैन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सर्वे टीम में देशभर से बुलाए गए लगभग 175 विशेषज्ञ शामिल रहे।
चार अध्याय में रिपोर्ट
ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के बाद ASI ने जिला जज की अदालत में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसे 4 अध्याय में बांटा गया है। पहले अध्याय में 155 पेज में ज्ञानवापी की संरचना, वर्तमान ढांचा, खंभा-प्लास्टर, पश्चिमी दीवार, शिलालेख व भग्नावशेष का पूरा विवरण है। इसी अध्याय के अंत में 8 पेज में सर्वे के निष्कर्ष के रूप में बताया गया है कि मौके पर मिले साक्ष्यों, शिलालेख और वर्तमान ढांचा की व्यवस्था को देखकर पूरी तरह से स्पष्ट है कि प्राचीन हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद का ढांचा तैयार किया गया है। 206 पेज के दूसरे अध्याय में वैज्ञानिक अध्ययन का जिक्र है तो 229 पेज के तीसरे अध्याय में सर्वे में साक्ष्य के रूप में एकत्र की गई एक-एक वस्तु, दीवारों-खंभों पर अंकित चिह्न और इनके माप का ब्यौरा, सर्वे में ली गई तस्वीरों का भी विवरण है। 243 पेज के चौथे अध्याय में ज्ञानवापी परिसर में ली गई तस्वीरों को चस्पा किया गया है।