Bihar Lok Sabha Election Update: बिहार की राजनीति गर्म है। गर्माहट एनडीए के भीतर भी है और इंडिया गठबंधन में भी है। पूर्णियां को लेकर सबसे ज्यादा हलचल है। इस सीट ने सूबे की सियासत को चर्चा में ला दिया है। पिछले चुनाव में पूर्णिया से जदयू को जीत मिली थी। उम्मेद्वार थे संतोष कुशवाहा। इस बार भी जदयू ने संतोष कुशवाहा को ही मैदान में उतारा है। उधर राजद ने पूर्णियां ने बीमा भर्ती को मैदान में खड़ा किया है। बीमा भारती जदयू की विधायक रही है और अभी कुछ समय पहले ही वह जदयू से नाता तोड़कर राजद के साथ चली गई। बीमा भारती का भी पूर्णियां में दखल है और अच्छी पकड़ भी। और अब पप्पू यादव भी पूर्णियां से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
पप्पू यादव पहले अपनी पार्टी जनाधिकार पार्टी चलाते थे। लेकिन अब वे अपनी पार्टी का न सिर्फ कांग्रेस में विलय कर गए वल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के नाम पर पूर्णिया से टिकट की मांग भी करने लगे। कांग्रेस भी चाहती थी कि पप्पू यादव को यहाँ से मैदान में उतारा जाए लेकिन सीट राजद के पास चली गई। अब पप्पू यादव यहाँ से निर्दलीय उम्मीदवार हो सकते हैं। और ऐसा हुआ तो लड़ाई दिलचस्प होगी। राजद और पप्पू की लड़ाई में जदयू को लाभ मिल सकता है। संतोष कुशवाहा चुकी सीटिंग सांसद हैं, ऐसे में जानकार भी कह रहे हैं कि पप्पू अगर चुनाव लड़ते हैं तो त्रिकोणीय संघर्ष में संतोष कुशवाहा बाजी मार सकते हैं। अब देखना यह है कि पूर्णियां की जनता किसके साथ खड़ी होती है।
पूर्णियां से पप्पू यादव चुनाव जीत चुके हैं। पप्पू यादव पूर्णियां और मधेपुरा की राजनीति करते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में संतोष कुशवाहा ने कांग्रेस के उम्मीदवार उदय सिंह को हराया था। इसी तरह संतोष कुशवाहा पहली बार इसी सीट से 2014 में चुनाव जीते थे। उन्होंने 2014 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार उदय सिंह को ही हराया था। कह सकते हैं कि पिछले दो चुनाव से जदयू यहाँ से चुनाव जीत रही है। इस बार क्या होगा कहना मुश्किल है। ऐसे माहौल में अगर पप्पू यादव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरते है तो लड़ाई रोचक हो जाएगी। हालांकि पूर्णियां की जनता अब पप्पू यादव के साथ खड़ी दिख रही है लेकिन चुनाव के वक्त क्या होगा यह अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
पप्पू यादव के साथ बड़ी बात यही है कि वे पूर्णियां से तीन बार सांसद रह चुके हैं। सबसे पहले उन्होंने 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी से चुनाव जीते। फिर 1999 में निर्दलीय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। जाहिर है पप्पू यादव पूर्णियां की जनता के साथ जुड़े रहे हैं। यही वजह है कि वे इस बार भी यहाँ से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
पूर्णियां विधान सभा में कुल छह विधान सभा सीटें आती है। इन सभी विधान सभा सीटों पर पप्पू यादव का दखल है और बड़ी संख्या में लोग उन्हें पसंद भी करते हैं। अगर इस बार भी वे चुनाव जीत जाते हैं तो पप्पू यादव के लिए बड़ी बात होगी। उधर संतोष कुशवाहा भी अगर यहाँ से इस बार चुनाव जीत जाते हैं तो वह पप्पू यादव के समानंतर खड़े हो जायेंगे। पूर्णिया से सबसे लम्बे समय तक फनी गोपाल सेन गुप्ता सांसद रहे हैं। वे चार बार यहाँ से सांसद रहे हैं। पूर्णियां से अभी तक राजद की जीत कभी नहीं हुई है।
राजद की कोशिश यही है कि इस बार पूर्णियां में उसका खाता खुल जाए। लेकिन अभी तक इस सीट से कांग्रेस, जदयू और बीजेपी की ही जीत होती रही है। लेकिन अगर पप्पू यादव इस बार मैदान में उतारते हैं तो खेल बड़ा ही रोचक होगा और उनकी जीत हो गई तो वे चौथी बार इस सीट से सांसद बन सकते हैं। लेकिन क्या यह संभव है ? यही बड़ा सवाल है।