बिहार में बीजेपी मजबूत कर रही है एनडीए ,कई दलों को देगी सीट
BJP Core Group Meeting: बिहार में बीजेपी मजबूत कर रही है एनडीए ,कई दलों को देगी सीटबीजेपी बिहार में बड़ा दाव कहने जा रही है। पहली प्राथमिकता को एनडीए को मजबूत करना है और फिर एनडीए में जो भी दल शामिल होंगे उसे टिकट भी देगी। पिछले सप्ताह भर से बिहार को लेकर बीजेपी मैराथन बैठक कर रही है। अब बिहार को लेकर सीट शेयरिंग की भी खबर आ रही है।
जानकारी के मुताबिक बिहार एनडीए में कई घटक दलों को सीट देने की तैयारी लगभग तय कर ली गई है। हालांकि इसको लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि दिल्ली में कई दिनों से जो बैठक चल रही थी उसमे यह तय हो गया है कि एनडीए के साथ जो भी दल आएंगे और जिसकी जो पहुँच है उसके मुताबिक सीट दी जाएगी।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार की कुल 40 सीटों में से 30 सीटों पर बीजेपी खुद चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही लोजपा के दोनों दलों को मिलकर 6 सीटें देने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को तीन सीट देने की बात कही जा रही है। इसके साथ ही हम पार्टी को एक सीट और मुकेश साहनी की पार्टी को भी एक सीट देने की बात कही जा रही है। किस पार्टी को कहाँ की सीट दी जाएगी यह भी तय हो गया है। फिलहाल जो खबर आ रही है कि उसके मुताबिक बीजेपी कौन कौन सी सीट अपने सहयोगियों को देगी ये सम्बंधित पार्टियों के उम्मीदवार को देखकर फाइनल किया जायेगा।
बता दें कि 23 जून को पटना में विपक्षी एकता की बैठक होनी है। नीतीश कुमार इसकी भी तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच बीजेपी के भी दो बड़े नेता बिहार का दौरा करने वाले हैं। इससे पहले ही बीजेपी ने सीट शेयरिंग को लेकर बह बैठक की है। जिस बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन हुआ है उसमे कई केंद्रीय बीजेपी के नेता के साथ बीजेपी बिहार इकाई के भी कई नेता मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी का फोकस उन सीटों पर ज्यादा है जिन सीटों पर उसकी पिछले चुनाव में जीत मिली थी। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जिन सीटों पर बीजेपी की जीत हुई थी वह सीट हर हाल में बीजेपी फिर से जीतना चाहती है। हालांकि जदयू के हटने के बाद समीकरण बदल गए हैं लेकिन फिर बीजेपी पूरी ताकत से अपनी लड़ाई जारी रखना चाहती है।
बीजेपी की परेशानी बिहार में यही है कि वहां धार्मिक उन्माद ज्यादा नहीं होने वाला है। बिहार के लोग जातीय लड़ाई जरूर लड़ते हैं लेकिन धार्मिक उन्माद से वे अलग ही रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में बीजेपी के साथ जो लोग जुड़ चुके हैं वह आज भी बीजेपी के साथ खड़ा है। उधर बीजेपी को लग रहा है कि जातीय आधार पर जिन पार्टियों को वह अपने साथ ले रही है उसकी पहुँच भी कुछ सीटों पर ठीक ठाक है। ऐसे में विपक्ष की मजुबूत जातीय समीकरण के बाद भी बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान बिहार में होता नहीं दिख रहा है।