अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी दर्जनों सांसदों को टिकट नहीं देगी, तैयारी शुरू
Lok Sabha Election 2024: पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था जिसमे से 12 सांसद विधान सभा चुनाव जीतने में सफल हुए जबकि नौ सांसद चुनाव हार गए। चुनाव जीते दस सांसदों ने संसद सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया है। बाकी के दो सांसदों से भी इस्तीफा लिया जाना है। जो 9 सांसद चुनाव हारे हैं उनमे तीन सांसद तेलंगाना से हैं। कहा जा रहा है कि विधान सभा हार चुके किसी भी सांसदों को अब अगले लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जायेगा। हालांकि तेलंगाना से हारे सांसदों के बारे में अभी बीजेपी के भीतर मंथन जारी है। संभव है कि एक या दो सांडों को फिर से टिकट मिल भी जाये लेकिन ज्यादा सम्भावना यही है कि विधान सभा हार चुके किसी भी सांसदों को अब टिकट नहीं दिया जायेगा।
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टिकट तो उन सभी सांसदों को भी नहीं मिलेगा जो चुनाव जीतकर आये हैं। बीजेपी ने अब सबको संसद से इस्तीफा लेकर राज्यों के काम में लगा दिया है। जीते सभी 12 सांसद जो अब विधायक हो चुके हैं उन्हें राज्य में ही काम करना है और सरकार को मजबूती से चलना है। जाहिर है इनमे से भी किसी को लोकसभा चुनाव में नहीं उतरा जायेगा। जानकार कह रहे हैं कि टिकट काटने का यह बीजेपी का नया खेल है। इसमें कोई अब आवाज भी नहीं उठा सकता। कह सकते हैं कि अब 21 सांसद अगले चुनाव में भाग नहीं लेंगे।
अब बीजेपी हिंदी पट्टी में बड़ी संख्या में टिकट काटने के लिए सर्वे एजेंसियों के जरिये सांसदों का परीक्षण करवा रही है। सर्वे एजेंसी की जांच रिपोर्ट के बाद सांसदों के लिए टिकट की तैयारी चल रही है। जिनक परफॉर्मेंस ठीक नहीं है उसे किसी भी कीमत पर टिकट नहीं नहीं मिलेगा। बीजेपी की नजर नए युवाओं पर है। बीजेपी चाहती है कि बूढ़े हो चुके लोगों को अब मैदान में सकता। जो लोग जनता के बीच में रहते हैं और हर बार चुनाव जीतते है उनमे भी टिकट से वंचित किया जा सकता। अगर उनकी उम्र बढ़ गई तो वहां युवाओं को उतरा जायेगा।
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अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा का चुनाव होना है। ओडिशा से बीजेपी के अभी आठ सांसद हैं। जानकारी के मुताबिक यहाँ भी कुछ सांसदों को विधान सभा चुनाव में उतारा जा सकता है। लोकसभा के बाद झारखंड ,हरियाणा और महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव होने हैं। इन तीनो राज्यों में भी बहुत से सांसदों को विधान सभा चुनाव में उतरने की बात की जा रही है। बीजेपी के लोग ही कर रहे हैं कि सांसदों के खिलाफ जनता में नाराजगी है और उनके खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी भी है। ऐसे लोगों को बीजेपी टिकट नहीं देगी। इनकी जगह पर युवाओं को टिकट देने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी बड़े स्तर पर युवाओं को कमैदान में उतार सकती है। जिन युवओं का जनता से जुड़ाव है और जो लगातर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं उन्हें मौका दिया जा सकता है।
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सूत्र यह भी बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश ,बिहार ,झारखंड ,मध्यप्रदेश ,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही हरियाणा और महाराष्ट्र में युवाओं को मैदान में उतरने के लिए एक अलग एजेंसी का सहारा ली जा रही है। बीजेपी के इस प्रयास का मतलब सिर्फ एक ही है कि अधिक से अधिक उम्मीदवार चुनाव जीत सकें और मोदी की सर्कार बन सके। हालांकि बीजेपी के इस प्रयास से हिंदी पट्टी के बहुत से सांसदों की चिंता बढ़ गई है। जो सांसद अब यह मान रहे हैं कि उनकी टिकट कट सकती है वे अभी से ही कई दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं। हलाकि बूढ़े हो चुके सांसदों को बी कोई भी पार्टी टिकट देने को तैयार नहीं है। हर पार्टी युवाओं पर ही दाव लगाने को तैयार है। बीजेपी के बारे में जानकार भी कह रहे हैं कि करीब 80 से ज्यादा सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं। सबसे ज्यादा टिकट बिहार और यूपी से काटे जायेंगे।