Chennai Politics: दांव पर दांव। देश में जिधर देखों दांव ही लग रहे हैं। कोई जातियों पर दाव लगा रहा है तो कोई धर्म को दाव पर खड़ा कर रहा है। कोई पुरे समाज को ही दाव पर लगाता दिख रहा है तो कोई भगवान को ही दाव पर लगा रहा है। दाव की यह यह राजनीति सत्ता पक्ष भी खेल रहा है और विपक्ष भी। लेकिन इस खेल से चुनाव तो जीते जा सकते हैं लेकिन जनता की हालत क्यों दाव पर लगी हुई है इसे कोई नहीं बता रहा है। विपक्ष कह रहा है कि सब मिलकर बीजेपी को हरा देंगे उधर बीजेपी कह रही है कि हमें हारने के लिए सभी भ्रष्टाचारी एक हो रहे हैं। जनता परेशान है।
कौन सत्यवादी और कौन भ्रष्ट्राचारी इसका चयन कौन करे ?
खेल चल रहा है। आगे भी चलता रहेगा। सबकी अपनी राजनीति है। निशाने पर वोट बैंक है। आज गृहमंत्री शाह तमिलनाडु पहुंचे। उन्होंने भी बड़ा दाव खेला। खेलना भी चाहिए। क्योंकि राजनीति दाव का ही नाम है। कौन सा दाव कब और कहा फिट बैठेगा कौन जानता है। दाव फिट बैठ गया तो खेल हो जायेगा। विपक्ष चित हो जायेंगे। फेडरेशन ऑफ़ न्यूज़ वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गृह मंत्री शाह ने भविष्य में किसी तमिल को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत की है। सूत्रों के मुताबिक शाह ने रविवार को दक्षिण चेन्नई में बीजेपी अधिकारीयों की बंद कमरे में बैठक की है। इसी बैठक में उन्होंने यह बयान दिया है। सूत्रों के मुताबिक शाह ने कहा कि हमें तमिलनाडु के दो हो सकने वाले प्रधानमंत्रियों की कमी खली है। शाह ने कहा कि हमने हो सकने वाले दो प्रधानमंत्रियों कामराज और मूपनार को खोया है।
और इनके प्रधानमंत्री नहीं बन पाने के लिए डीएमके जिम्मेदार है।
बता दें कि गृह मंत्री शाह ने जिन दो बड़े नेताओं कामराज और मूपनार का नाम लिया है ,देश के बड़े तमिल नेताओं में शुमार रहे हैं। इनमे से एक कामराज ने नेहरू के बाद शास्त्री और इंदिरा गाँधी को पीएम बनाने में काफी मदद की थी। कहा जाता है कि नेहरू के निधन के बाद कामराज देश के पीएम बन सकते थे। जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। वहीं जी मूपनार 1996 में गठबंधन सरकार की पीएम रेस में प्रमुख दावेदार थे। लेकिन डीएमके प्रमुख करुणानिधि ने दो बार उनके नाम पर असहमति जताई थी।
जानकार कह रहे हैं कि बीजेपी का यह बड़ा दाव है।
यह दाव तमिल लोगों के सेंटीमेंट को जगाने के लिए किया जा रहा है ताकि बीजेपी की राजनीति स्थापित की जा सके। बता दें कि तमिलनाडु ने बीजेपी की अभी तक कोई जमीन तैयार नहीं है। जो जमीन है भी वह सहयोगी दलों के सहारे ही है। यही हाल कांग्रेस के साथ भी है। अभी कांग्रेस डीएमके के साथ है जबकि बीजेपी का सहयोग अन्नाद्रमुक के साथ है। जाहिर है आगामी चुनाव में जिस तरह से विपक्ष की घेराबंदी हो रही है उससे बीजेपी को लग रहा है कि तमिल लोगों में यह दाव खेल कर कुछ लाभ लिया जा सकता है और संभव है कि इसका लाभ बीजेपी को मिल भी जाए।
बीजेपी अभी पुरे देश में मोदी सरकार के 9 वर्ष की सफलता को लोगों तक पहुंचा रही है। इसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए शाह तमिलनाडु की यात्रा पर गए थे। अमित शाह की कई और राज्यों में भी आज यात्रा रही है।