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2006 Mumbai Local Train Blast: बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सभी 12 आरोपी निर्दोष घोषित

2006 में हुए इस भीषण बम विस्फोट में मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात जगहों पर विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 लोगों की जान चली गई थी और 824 लोग घायल हुए थे। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 लोगों को बरी कर दिया है।

2006 Mumbai Local Train Blast: Big decision of Bombay High Court, all 12 accused declared innocent
2006 Mumbai Local Train Blast: बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सभी 12 आरोपी निर्दोष घोषित

2006 Mumbai Local Train Blast: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 11 आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। यह फैसला जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस एस.जी. चांडक की खंडपीठ ने सुनाया। इस मामले में कुल 12 आरोपियों को निचली अदालत ने पहले दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 आरोपियों को बरी कर दिया गया, जबकि एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी थी।

सूत्रों के अनुसार, इस मामले की अंतिम सुनवाई इसी साल जनवरी में पूरी हो गई थी, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। दोषियों ने यरवदा, नासिक, अमरावती और नागपुर जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

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इन धमाकों में 189 लोगों की गई थी जान

2006 में हुए इस भीषण बम विस्फोट में मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात जगहों पर विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 लोगों की जान चली गई थी और 824 लोग घायल हुए थे। इस मामले में साल 2015 में एक विशेष अदालत ने कुल 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को मौत की सजा और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, उनमें मोहम्मद फैसल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान और कमाल अंसारी शामिल थे। कमाल अंसारी नाम के आरोपी की 2022 में कोविड-19 के कारण जेल में मौत हो गई।

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बचाव पक्ष ने आरोप लगाया था कि मकोका अधिनियम के तहत दर्ज किए गए इकबालिया बयान ‘जबरदस्ती’ और ‘यातना’ के ज़रिए हासिल किए गए थे और इसलिए अवैध थे। दूसरी ओर, राज्य ने यह साबित करने की कोशिश की थी कि यह एक दुर्लभतम मामला था और दोषसिद्धि उचित थी। दरअसल, 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के अंतराल पर सात बम विस्फोट हुए थे। बमों में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था और मुंबई एटीएस ने नवंबर 2006 में आरोपपत्र दाखिल किया था।

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पिछली सुनवाई और देरी के कारण

हाईकोर्ट में सुनवाई 2015 में तब शुरू हुई जब राज्य ने मौत की सजा की पुष्टि के लिए याचिका दायर की और दोषियों ने अवमानना की अपील भी की। लंबी प्रक्रिया के चलते 11 से ज्यादा बेंच बदलीं, लेकिन जुलाई 2024 में एक विशेष बेंच का गठन हुआ। जनवरी 2025 में सुनवाई पूरी कर फैसले सुरक्षित रख लिया गया। अब इस फैसले को जांच एजेंसियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

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Written By| Chanchal Gole| National Desk

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