Brijesh Solanki Death News:एक चूक और छीन गई जान! रेबीज से कबड्डी स्टार बृजेश सोलंकी की दर्दनाक मौत
यूपी के राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की रेबीज के कारण दर्दनाक मौत हो गई। करीब दो महीने पहले एक पिल्ले को नाले से बचाते समय उसे मामूली काटने के बाद बृजेश ने एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई थी, जिसे उन्होंने चोट समझकर नजरअंदाज कर दिया था। लक्षणों के उभरने के बाद, उन्हें कई अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पाया और आखिरकार नोएडा के एक निजी अस्पताल में रेबीज की पुष्टि हुई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उनकी मौत से पहले तड़पने का एक वीडियो भी ऑनलाइन सामने आया है
Brijesh Solanki Death News: उत्तर प्रदेश के प्रतिभाशाली कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की बीते शुक्रवार को रेबीज के कारण हुई दर्दनाक मौत ने सभी को हिला दिया है। 28 वर्षीय बृजेश, जो प्रो कबड्डी लीग 2026 की तैयारी कर रहे थे और फरवरी में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक भी जीत चुके थे, उनका निधन रेबीज की गंभीरता और समय पर टीकाकरण की अनदेखी के भयावह परिणामों को उजागर करता है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि हम सबके लिए एक गंभीर चेतावनी है।
क्या हुआ था बृजेश के साथ?
बता दें मार्च 2025 में, बृजेश ने एक कुत्ते के बच्चे को नाली से बचाने की कोशिश की। इसी दौरान, उस पिल्ले ने उनके दाहिने हाथ की उंगली पर काट लिया। बृजेश ने इस चोट को मामूली समझा और एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। दो महीने बाद, जून 2025 में उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। पहले उन्हें अलीगढ़, फिर मथुरा और आखिर में दिल्ली के जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां रेबीज की पुष्टि हुई। 27 जून की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
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रेबीज: एक जानलेवा बीमारी
रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से कुत्तों, चमगादड़ों या बंदरों जैसे जानवरों के काटने से फैलती है। यह वायरस मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (Nervous system) को सीधे प्रभावित करता है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और काटे गए स्थान पर झुनझुनी महसूस होना शामिल हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), अत्यधिक लार आना, मांसपेशियों में ऐंठन, भ्रम और कोमा जैसे गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं।
एक बार लक्षण दिखने शुरू हो जाएं, तो इसका इलाज लगभग असंभव हो जाता है और परिणाम अक्सर घातक होते हैं। जानवर के काटने से लेकर लक्षण दिखने में 1 से 3 महीने लग सकते हैं, लेकिन यह अवधि एक सप्ताह से लेकर एक वर्ष तक भी हो सकती है।
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समय पर टीकाकरण ही एकमात्र बचाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का साफ कहना है कि बृजेश की मौत एक लापरवाही का नतीजा थी। अगर उन्होंने कुत्ते के काटने के तुरंत बाद एंटी-रेबीज वैक्सीन ले ली होती, तो उनकी जान बच सकती थी। रेबीज का टीकाकरण काटने के बाद जितनी जल्दी हो सके शुरू कर देना चाहिए। बृजेश ने अपनी चोट को हल्के में लिया और टीका नहीं लगवाया, जिससे वायरस उनके तंत्रिका तंत्र में फैल गया।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि रेबीज कोई सामान्य संक्रमण नहीं है, बल्कि एक ऐसी बीमारी है जिससे लड़ने का एकमात्र प्रभावी तरीका समय पर रोकथाम और टीकाकरण है। अपने और अपनों की सुरक्षा के लिए, जानवरों के काटने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और बिना देर किए टीका लगवाएं। आपकी जागरूकता ही आपकी सुरक्षा है।
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