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गोवर्धन पूजा की सही तिथि सही समय और जानें कथा, इस कथा को पढ़ने से घर में कभी नहीं होगी अन्न की कमी

Govardhan puja 2023: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर में गोबर का पर्वत बनाकर उसकी पूजा करती हैं। इस दिन घरों में अन्न्कूट की सब्जी बनाई जाती है और उसका भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) में कथा को पढ़ने का खास महत्व होता है। मान्यता है कि इस कथा को पढ़ने से आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है। आप भी पढ़ें यह कथा।

देशभर में दिवाली का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया. चारों तरफ दीये और रोशनी से इस महापर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ हर धर्म, जाति और समुदाय को लोगों ने मनाया. हिंदु धर्म में दीपावली सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन नाम का त्योहार मनाया जाता है। इस बार गोवर्द्धन पूजा (Govardhan puja) का त्योहार दिवाली के अगले दिन 13 नवंबर यानि सोमवार को मनाया जाएगा इस दिन स्त्रियां गोबर के भगवान बनाकर उसकी पूजा करती हैं और संध्या समय अन्नादि का भोग लगाकर दीपदान करते हुए गोबर के भगवान की परिक्रमा करती हैं (Govardhan puja) तत्पश्चात् उस गऊला बास (बाधा) उठाकर उसके उपले (Govardhan puja) थापती हैं और बाकी को खेत आदि में डाल देती हैं इस दिन अन्न का भोजन बनाकर भगवान का भोग लगाया जाता है अपने सब अतिथियों सहित भोजन किया जाता है। उत्तकर भारत के राज्यों में इस दिन अन्न कूट पर्व भी मनाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा तिथि (Govardhan Puja 2023 Tithi)

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू- 13 नवंबर दोपहर 2:56

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 14 नवंबर दोपहर 2:36

गोवर्धन पूजा की कथा

प्राचीन काल में दीपावली के दूसरे दिन भारत में और विशेषकर ब्रज मण्डल में इन्द्र की पूजा हुआ करती थी। श्री कृष्ण ने कहा कि कार्तिक में इन्द्र की पूजा (Govardhan puja) का कोई लाभ नहीं इसलिए हमें गऊ के वंश की उन्नति के लिए पर्वत वृक्षों (Govardhan puja) की पूजा करते हुए न केवल उनकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए अपितु पर्वतों और भूमि पर घास-पौधे लगाकर हमें वन महोत्सव भी मनाना चाहिए। इसके सिवा हमें सदैव गोबर को ईश्वर के रूप में पूजा करते हुए उसे कदापि नहीं जलाना चाहिए।

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इसके साथ ही खेतों में गोबर डालकर उस पर हल चलातें हुए अन्नौषधि उत्पन्न करनी चाहिए ऐसा माना जाता हैं ऐसा करने से ही हमारे सहित देश की उन्नति होगी। भगवान श्री कृष्ण के ऐसे उपदेश देने के पश्चात् लोगों ने ज्यों ही पर्वत वन और गोबर की पूजा आरम्भ की, त्यों ही इंद्र ने कुपित होकर 7 दिन की बरसात की झड़ी लगा दी परन्तु श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत (Govardhan puja) को अपनी छोटी अंगुली पर उठा कर ब्रज को बचा लिया और इन्द्र को लज्जित होने के पश्चात् उनसे क्षमा याचना करनी पड़ी।

Prachi Chaudhary

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