Budget 2023: वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के विदेशी क्षेत्र में प्रदर्शन बहुत कुछ कहता है
आज बजट है और इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज पांचवा बजट पेश करेगी लेकिन यह बजट मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट भी है। अगले साल चुनाव होने हैं इसलिए इस बजट पर सरकार की कोशिश है कि लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएं दी जाए और इकॉनमी का गति भी तेज रहे। उधर देश की जनता भी इस बजट को आशा के नजरिये से देख रही है।
आज बजट है और इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज पांचवा बजट पेश करेगी लेकिन यह बजट मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट भी है। अगले साल चुनाव होने हैं इसलिए इस बजट पर सरकार की कोशिश है कि लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएं दी जाए और इकॉनमी का गति भी तेज रहे। उधर देश की जनता भी इस बजट को आशा के नजरिये से देख रही है। अब देखना है कि सरकार इन तमाम चुनौतियों से कैसे निपट पाती है। लेकिन देश के लिए कुछ अच्छी खबरे कल सामने आयी जब आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े सामने आये। उन आंकड़ों से पता चलता है कि तमाम चुनौतियों के बीच भी भारत के विदेशी क्षेत्र का प्रदर्शन काफी बेहतर रहे हैं।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि भारत अपने विदेशी क्षेत्र में मजबूत मैक्रो फंडामेंटल और बफर स्टॉक से इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम रहा है। भारत का विदेशी क्षेत्र प्रतिकूलताओं और अनिश्चितताओं से बार-बार प्रभावित हुआ। इनके कारण मूल्य बढ़ोतरी हुई जो अब घट रही है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार संवेदनशीलता में वृद्धि पूंजी प्रवाह में परिवर्तन, पूंजीगत मूल्यहृास, वैश्विक विकास और व्यापार में मंदी के कारण अब कम हो रहे है। आर्थिक सर्वेक्षण इस बारे में प्रकाश डालता है कि वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत ने वित्त वर्ष 2022 में निर्यात के रिकॉर्ड स्तर के बाद लचीलेपन का प्रदर्शन किया है। पेट्रोलियम उत्पाद, जवाहरात और आभूषण, जैविक और कार्बनिक, रसायन, दवाइयां और औषधियां, प्रमुख निर्यात वस्तुओं में शामिल रहे। हालोंकि वैश्विक बाजार में मंदी की विशेषता वाली धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय निर्यात में मंदी अपरिहार्य रही।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति आंतरिक लॉजिस्टिक लागत को कम करके घरेलू अवरोधों को कम कम करेगी, जिससे भारतीय निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। इसमें यह भी बताया गया है कि संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ अभी हाल में किए गए मुक्त व्यापार समझौते निर्यात के लिए रियायती टैरिफ और गैर-टैरिफ बैरियर पर निर्यात के लिए अवसरों का सृजन करके बाह्य अवरोधों का समाधान करेंगे। इस प्रकार पूरे इकोसिस्टम में आने वाले समय में निर्यात के अनुकूल तरीकों का समावेश होगा।आर्थिक सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि कच्चे तेल के मूल्यों में हुई बढ़ोतरी के अलावा आर्थिक गतिविधियों की बहाली ने आयात में वृद्धि की है। पेट्रोलियम, क्रूड और उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कोयला, कोल ब्रिकेट आदि मशीनरी, विद्युत और गैर-विद्युत वस्तुएं और सोना शीर्ष आयात वस्तुओं में शामिल रहे, जहां इसमें उल्लेख किया गया है कि वैश्विक कमोडिटी मूल्य की स्थिति में निरंतर नरमी आयात को आगे बढ़ाने में मदद करेगी, जहां गैर-स्वर्ण और गैर-तेल आयात में उल्लेखनीय कमी की है।
आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि भारत में वित्त वर्ष 2022 में 422 बिलियन अमरीकी डॉलर का सर्वकालिक उच्च वार्षिक मकर्नाडज निर्यात अर्जित किया है। मकर्नाडाइज निर्यात जो अप्रैल-दिसम्बर-2021 अवधि के दौरान 305 बिलियन अमरीकी डॉलर था, वह अप्रैल-दिसम्बर 2022 में 332 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक रहा। वित्त वर्ष 2022 में निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि दवाइयों और औषधियों, इलेक्ट्रॉनिक सामानों, जैविक और अकार्बनिक रसायनों के क्षेत्र में दर्ज हुई।वित्त वर्ष 2022 में भारत ने विश्व सेवा व्यापार में अपनी महारत बरकरार रखी। भारत का सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2022 में 254.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जिसमें वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 23.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई और अप्रैल-सितम्बर 2022 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 32.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई। अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त मूल्य 568.6 बिलियन अमरीकी डॉलर अनुमानित रहा, जो अप्रैल-दिसम्बर 2021 की तुलना में 16 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है।
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यह सर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि भारतीय रूपये में अंतर्रार्ष्टीय व्यापार समझौते को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे है। एक बार इन पहलों से लाभ प्राप्त होने पर विदेशी मुद्रा पर निर्भरता व्यापक रूप से कम होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को विदेशी आघातों से कम संवेदी बनाया जा सकेगा।