Mystery of the stepwell in Chandausi continues: चंदौसी में बावड़ी के रहस्य से पर्दा हटाने का अभियान जारी: सुरंग, सीढ़ियां और भूमिगत इमारतें उजागर
Mystery of the stepwell in Chandausi continues: लक्ष्मण गंज में जमीन के नीचे छिपी ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का काम जारी है। चंदौसी में बावड़ी की खोज के दौरान एक भूमिगत बड़ी संरचना का पता चला है। खुदाई के दौरान सीढ़ियां, सुरंगनुमा गलियारे और कमरे भी दिखाई दिए हैं। इन नई खोजों से काम में कुछ बाधाएं आई हैं, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए बड़ा फैसला लिया है।
Mystery of the stepwell in Chandausi continues : उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में लक्ष्मणगंज के पास जमीन के नीचे दबे ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करने का कार्य तेज़ी से जारी है। बांके बिहारी मंदिर के पास स्थित एक खाली प्लॉट में प्राचीन बावड़ी मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन ने खोदाई का कार्य शुरू किया। इस खोदाई ने इतिहास के कई अद्भुत पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें तीन मंजिला बावड़ी, सुरंग जैसे गलियारे, सीढ़ियां और कमरे जैसी संरचनाएं शामिल हैं।
बावड़ी की खोज और खोदाई का आरंभ
17 दिसंबर को लक्ष्मणगंज में खंडहरनुमा एक प्राचीन मंदिर मिला था, जिसे करीब 150 साल पुराना बांके बिहारी मंदिर बताया गया। इसके बाद सनातन सेवक संघ के पदाधिकारियों ने एक खाली प्लॉट में प्राचीन बावड़ी होने का दावा किया। जिलाधिकारी (डीएम) के निर्देश पर नगर पालिका और तहसील की टीम ने रविवार से खोदाई का कार्य शुरू किया। पहले दिन की खोदाई में ही दीवारें दिखने लगीं, जिससे नीचे बावड़ी होने की पुष्टि हुई।
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प्राचीन संरचना के अद्भुत रहस्य
खोदाई के दौरान धीरे-धीरे इस बावड़ी की संरचना और इसके साथ जुड़े अन्य रहस्यमय तत्व सामने आए। अब तक की खोदाई में तीन मंजिला बावड़ी में नीचे जाने वाली सीढ़ियां, सुरंग जैसे गलियारे और कमरों जैसी आकृतियां सामने आई हैं। यह संकेत देता है कि यहां एक भूमिगत विशाल इमारत मौजूद हो सकती है।
नगर पालिका के ईओ कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि हाल में मिली सीढ़ियां बावड़ी में पानी के स्रोत तक जाने का मार्ग हो सकती हैं। इसके अलावा, यहां किसी बड़े भवन की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
राजशाही और सैनिकों का विश्राम स्थल
यह स्थान पुराने दौर में सहसपुर स्टेट (बिलारी) के अंतर्गत आता था। राजपरिवार की रिश्तेदार शिप्रा गेरा ने बताया कि यह परिसर राजशाही के दौर में सैनिकों और राजपरिवार के विश्राम के लिए उपयोग होता था। गर्मियों में तपिश से बचने के लिए इस भूमिगत परिसर का इस्तेमाल किया जाता था। सैनिक यहां बने गलियारों में मौजूद रहते थे, और राजपरिवार अपनी यात्रा के दौरान यहां रुकता था।
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स्थानीय लोगों और प्रशासन में उत्साह
इस ऐतिहासिक खोज ने न केवल स्थानीय निवासियों में उत्सुकता बढ़ाई है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों को भी प्राचीन धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में प्रेरित किया है। स्थानीय लोग इस स्थल पर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, और खुदाई की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
संरक्षण के प्रयास
नगर पालिका ने खोदाई का कार्य जेसीबी मशीन से शुरू किया था। लेकिन संरचना के मूल ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए अब श्रमिकों के जरिए खुदाई कराई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्य अत्यंत सावधानीपूर्वक किया जा रहा है ताकि प्राचीन संरचना को कोई नुकसान न पहुंचे।
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