PM Modi: मोदी सरकार के 9 बरस हो गए है। 26 मई 2014 को पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी। मोदी सरकार के लिए यह तारीख काफी महत्वपूर्ण है। खबर मिल रही है कि बीजेपी जहां इसी दिन से देश भर में जन जागरण कार्यक्रम की शुरुआत करने वाली है ताकि लोकसभा चुनाव के लिए जनता को जगाया जा सके और अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके। कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी को यह अहसास हो गया है कि अब सब इतना आसान नहीं रह गया है जिसकी कल्पना की जा रही थी। जिस कांग्रेस से मुक्ति की बात बीजेपी कर रही थी ,अब वही कांग्रेस चुनौती देती नजर आ रही है। बीजेपी को यह भी यह अहसास हो गया है कि कांग्रेस को तो देश मुक्त नहीं किया गया लेकिन इसी कांग्रेस ने बीजेपी को दक्षिण भारत मुक्त जरूर कर दिया।
कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद जिला स्तर पर बीजेपी नेताओं की बैठक चल रही है। योजनाएं बन रही है और कांग्रेस को कैसे बीट किया जाए इसके फॉर्मूले तय किये जा रहे हैं। कोई कहता है कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को और भी आक्रामक तौर से आगे बढ़ाने की की जरुरत है लेकिन बीजेपी के बहुत से लोग यह भी मान रहे हैं कि आखिर धार्मिक खेल के जरिये कितना वोट हासिल किया जा सकता है। एक तीसरा वर्ग भी पैदा हुआ हुआ है बीजेपी में। इस वर्ग का कहना है कि अतिवाद ख़राब होता है। इस वर्ग का यह भी तर्क है कि जब मोदी सरकार विकास के काम कर ही रहे हैं तो फिर विकास के नाम पर जनता के पास क्यों न पहुंचा जाए ? यह वर्ग यह भी मानता है कि धर्म की राजनीति कुछ समय के लिए फलदायक हो सकता है लेकिन बढ़ में यह विष भी बन जाता है। झूठी राजनीति कभी कारगर नहीं होती ऐसे में सच और विकास के नाम की राजनीति को आगे बढ़ने की जरूरत है।
बीजेपी के दफ्तर में कई तरह के लोग मिल जाते हैं। सबके विचार अलग -अलग। कोई ज्यादा तेज समझता है तो कोई बेवकूफी का परिचय भी दे जाता है। एक सवाल के जवाब में एक नेता कहते हैं कि धार्मिक राजनीति ने ही इस पर्त्य को आगे बढ़ाया है। धर्म ज्यादा बिकता है तो क्यों न इसको और आगे बढ़ाया जाए। जिस देश में हिन्दुओं की आबादी सबसे ज्यादा है वहां हिन्दू और सनातन की बात करना गुनाह है क्या ? लेकिन जब उनसे यह पूछा जाता है कि हिन्दू की बात करना कोई गुनाह नहीं है लेकिन दूसरे धर्म पर हमला करना कितना जायज है तो वे हंस पड़ते हैं। कोई जवाब नहीं। कहते हैं यह सब तो होता रहेगा। राजनीति में इतना तो चलेगा।
अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी जुट सी गई है। उसकी आँखें अर्जुन की तरफ लक्ष्य पर केंद्रित हो गई है। 26 मई से देश के भीतर कई कार्यक्रम होते देखे जा सकते हैं। कई रैलियां की जानी है तो कई सभाएं भी होंगी। घर -घर बीजेपी के लोग पहुंचेंगे। इस पहुँच में प्रभु श्री राम मंदिर का संदेश भी होगा और आगामी चुनाव पर बात भी होगी।
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लेकिन इधर मोदी सरकार भी इसी 26 तारीख को कोई बड़ा काम कर सकती है। खा जा रहा है कि इसी 26 तारीख को मोदी मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन भी कर सकते हैं। सन्देश यह देना है कि मोदी सरकार के नौवीं वर्षगाँठ पर संसद भवन का उद्घाटन कर देश को एक मैसेज दिया सकता है। सरकार इसकी जोर शोर से तैयारी कर भी रही है। यह कोई मामूली बात नहीं है। जिस दिन इसका उद्घाटन होगा देश ही नहीं विदेश के लोग भी अचंभित होने। सब कहेंगे पीएम मोदी ने एक बड़ा काम जो किया है। ऐसा काम जो सदा इतिहास के पन्नो में दर्ज रहेगा। जब नेहरू का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज है तो भला मोदी का नाम इतिहास में दर्ज कैसे नहीं होगा। और फिर इससे बड़ा उद्घाटन कुछ भी तो नहीं सकता। यह नया संसद भवन 21 सदी के भारत का जीता जागता नमूना है जो दुनिया को सदा आकर्षित करता रहेगा।