Lok Sabha Elections 2024: देश के भीतर कई तरह की राजनीति एक साथ चलती दिख रही है। कई मामलों पर निर्णय होते देखे जा रहे हैं तो कई नए मुक़दमे भी दर्ज होते जा रहे हैं। एक तरफ चुनावी माहौल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है तो दूसरी तरफ कोई भी गठबंधन एक दूसरे को नीचा दिखाने से बाज भी नहीं आ रहा है। इस चुनावी सर्कस में सबके सामने चुनौती है तो सब एक दूसरे को भी चुनौती देते नजर आ रहे हैं। मुख्य लड़ाई इंडिया और एनडीए के बीच है और इस लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा फंसी हुई है। बीजेपी के हाथ से अगर सत्ता फिसल जाती है तो राजनीति का मिजाज भी बदल सकता है और अगर कांग्रेस के साथ ही इंडिया कोई बड़ा खेल करने से चूक जाता है तो उसका भविष्य क्या होगा यह भी समझने की बात है।
इधर कई मुद्दों पर मोदी सरकार भी फंसती गई है। सबसे बड़ी बात चुनावी बांड को लेकर मोदी सरकार की काफी आलोचना की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी बांड को गैर संविधानिक घोषित किया है। जानकार कहते हैं कि अगर अदालत चुनावी बांड को गैर संविधानिक मानता है तो फिर चंदे के रूप में लाये गए धन भी गैर संविधानिक ही है और इस पर जांच की जानी चाहिए। लेकिन सरकार इस मसले पर अभी मौन है। आगे अदालत की तरफ से क्या कुछ होता है इसे देखने की बात होगी।
इसी बीच ईवीएम और वीवीपैट को लेकर अब एक नया मामला सामने आ गया है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है। विपक्षी दलों ने वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट मशीन की पर्चियों को गिनने और ईवीएम के वोट से उनके मिलान की मांग कर रही हैं। अब सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई बड़ा फैसला ले सकता है। और ऐसा हुआ तो कई तरह के खेल ख़राब हो सकते हैं लेकिन बड़ी बात तो यही होगी कि बैलेट पेपर की तरह ही इस बार के चुनाव कराये जा सकते हैं। यह ऐसा चुनाव हो सकता है जिसमे सभी वीवीपैट के पर्चियों को गिना जायेगा। अभी तक पांच फीसदी पर्चियों को ही गिना जाता था।
बता दें कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोकसभा चुनाव में हर विधान सभा क्षेत्र से पांच बूथों पर वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए और उसका मिलान ईवीएम वोट से किया जाए। इससे पहले किसी एक विधान सभा में कोई एक बूथ रैंडम तरीके से चुनकर वीवीपैट मशीन की पर्ची को गिनने का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे बढाकर पांच कर दिया था।
अब विपक्षी पार्टियां चाहती है कि सभी वीवीपैट मशीनों की पर्चियां गिनी जाए। अगर ऐसा होता है तो यह बैलेट पीकर की तरह ही चुनाव माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस गवई की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है। इस पर अदालत ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस भी भेजा है। सबसे बड़ी बात है कि चुनाव आयोग इस आइडिया का विरोध कर रहा है।
चुनाव आयोग कहना है कि अगर सभी वीवीपैट की पर्चियों को गिना जाता है तो नतीजे आने में कई दिन ला सकते हैं। लेकिन विपक्ष का कहना है कि जब चुनाव कई चरणों में हो सकते हैं तो तीन चार दिनों में अगर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव परिणाम आते हैं तो कोई दिक्कत कहाँ से हो सकती है ?लोकतंत्र के लिए चुनाव का निष्पक्ष होना जरुरी है। ऐसा चुनाव जिसपर कोई सावला नहीं खड़ा हो। ऐसे में देरी से ही परिणाम आते हैं तो कोई खराबी नहीं है।
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या कुछ आगे करता है यह देखने की बात होगी। लेकिन इतना तो साफ़ है कि अगर वीवीपैट की सभी पर्चियों की गिनती होती है तो ईवीएम पर जो अब तक सवाल उठते रहे हैं वे निरदहार साबित होंगे। फिर लोकतंत्र में यह जरुरी भी है। सुप्रीम कोर्ट अगर क्यों आदेश देता है तो इस चुनाव के परिणाम भी कुछ अलग ही दिख सकते हैं।