Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue in Ladakh: LAC पर शिवाजी…14300 फीट की ऊंचाई पर सेना ने लगाई शिवाजी की मूर्ति
भारतीय सेना (Indian army) ने 14,300 फुट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील (Pangong Lake) के तट पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक प्रतिमा स्थापित की है। यह क्षेत्र पूर्वी लद्दाख सेक्टर (Eastern Ladakh Sector) में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट है।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue in Ladakh: लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का 26 दिसंबर 2024 को अनावरण किया गया। यह मूर्ति 14,300 फीट की ऊंचाई पर लगाई गई है। यह आयोजन भारतीय शासक की अडिग भावना का उत्सव है, जिनकी विरासत पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
भारतीय सेना (Indian army) ने 14,300 फुट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील (Pangong Lake) के तट पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji, the Maratha warrior) की एक प्रतिमा स्थापित की है। यह क्षेत्र पूर्वी लद्दाख सेक्टर (Eastern Ladakh Sector) में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट है। सेना की लेह स्थित 14वीं कोर ने कहा कि इस प्रतिमा का अनावरण भारतीय शासक के अडिग चरित्र को सम्मान देने के लिए किया गया है, क्योंकि उनकी विरासत आज भी प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
पूर्व लद्दाख में सेना का बड़ा कदम
इस प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला (General Officer Commanding Lieutenant General Hitesh Bhalla) ने किया, जिसे ‘Fire and Fury Corps ’ के नाम से भी जाना जाता है। कोर ने ‘X’ पर बताया कि वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन की तरफ से टकराव वाले 2 अंतिम जगहों डेमचोक और देपसांग (Demchok and Depsang) पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद किया गया है।
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चीन से बदलते रिश्तों का दिखा असर
21 अक्टूबर को दोनों पक्षों ने बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी 2 जगहों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। पैंगोंग झील के पास हिंसक झड़क के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया। दोनों पक्षों ने सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई चर्चाओं के बाद 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की।
14,300 फीट की ऊंचाई पर शिवाजी की प्रतिमा
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, 30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई। जिन्हें उनकी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कौशल और न्यायपूर्ण और समतावादी समाज को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। पैंगोंग झील के लुभावने और रणनीतिक परिदृश्य में स्थित, यह प्रतिमा देश के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में स्थापित की गई है।
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छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण क्यों?
महान राजा को समर्पित यह विशाल स्मारक पैंगोंग त्सो पर स्थित है, जो अपनी अद्भुत सुंदरता और सामरिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। ऊंचाई पर स्थित यह प्रतिमा देश के गौरव और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की ताकत को दर्शाती है, खासकर उत्तरी सीमा के चुनौतीपूर्ण इलाकों में। यह सुविधा पर्यटकों, सैन्य कर्मियों और इतिहास प्रेमियों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बनेगी, तथा भारत की सैन्य और सांस्कृतिक विरासत के मानचित्र पर इस क्षेत्र का स्थान मजबूत करेगी।
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