लखनऊ में आयोजित ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ भारत’ पर एक दिवसीय वर्कशॉप में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने जल संरक्षण, कुशल जल उपयोग, और स्वच्छ जल की आपूर्ति पर गहन विचार साझा किए।
जल का महत्व और कृषि में भूजल का उपयोग
मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में जल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जल सभी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से कृषि कार्यों में। उन्होंने बताया कि दुनिया में केवल 10% भूजल का उपयोग कृषि के लिए होता है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 45% है। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 75% तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि के क्षेत्र में पावरहाउस के रूप में कार्य कर रहा है, लेकिन धान के रकबे में वृद्धि के कारण भूजल का दोहन भी बढ़ गया है।
जल संरक्षण के लिए डेटा और तकनीक की आवश्यकता
श्री सिंह ने पानी के कुशल उपयोग और पुनः उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डेटा को कार्रवाई में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने और नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी देने की जरूरत पर भी जोर दिया।
इजरायल का उदाहरण: जल प्रबंधन में सीखने योग्य उपाय
मुख्य सचिव ने इजरायल का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां प्रति वर्ष केवल 300 मिलीमीटर बारिश होती है, फिर भी वहां खेती ग्रीनहाउस और शेड में की जाती है। वहां मीठे और खारे पानी को मिश्रित रूप में खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में जल को लेकर अत्यधिक सचेतता बरती जाती है, और हमें भी उनसे सीख लेनी चाहिए।
स्वच्छ जल की आपूर्ति: शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता
श्री सिंह ने कहा कि आमजन तक स्वच्छ जल पहुंचाना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने आगरा में वर्ल्ड क्लास परियोजना का उदाहरण दिया, जहां जल को ट्रीट करके सप्लाई किया जा रहा है। उन्होंने डिजिटलीकरण को शहरी स्तर पर पेयजल संचालन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बताया।
शहरी जल प्रबंधन में तकनीक का उपयोग
प्रमुख सचिव नगर विकास, श्री अमृत अभिजात ने शहरी क्षेत्रों में जल प्रबंधन की अत्यधिक आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बढ़ती शहरी आबादी के साथ पेयजल को लेकर चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया है, और अमृत 2.0 अब जल आपूर्ति कवरेज और जल उपयोग दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
स्थानीय निकायों की क्षमता और तकनीक का महत्व
श्री अभिजात ने कहा कि बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने में शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता सीमित है। इस कमी को दूर करने में तकनीकी हस्तक्षेप एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं, और स्थानीय निकायों को प्रभावी निगरानी और कुशल सेवा वितरण में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
उपस्थित प्रमुख अधिकारीगण
इस अवसर पर निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय श्री अनुज कुमार झा, महाप्रबंधक-जल श्री आर.पी. सिंह, और क्षेत्रीय शहरी एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस), लखनऊ के अतिरिक्त निदेशक श्री ए.के. गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस वर्कशॉप ने जल संरक्षण और शहरी जल प्रबंधन के डिजिटलीकरण में नई दिशाओं की ओर इशारा किया है। इससे न केवल जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन में मदद मिलेगी, बल्कि आम जनता को भी स्वच्छ जल की सुनिश्चितता मिल सकेगी।