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Corona Vaccine: अचानक मौतों के लिए कोविड वैक्सीन नहीं जिम्मेदार, संसद में पेश हुआ ICMR का शोध

आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान ने 18-45 वर्ष की आयु के ऐसे व्यक्तियों पर यह अध्ययन किया, जो स्वस्थ थे और जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी और जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक मृत्यु हो गई। यह शोध 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में किया गया।

Corona Vaccine: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने से भारत में युवा लोगों और वयस्कों में अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में आईसीएमआर का यह अध्ययन बताता है कि कोरोना वैक्सीन के कारण ऐसी मौतों की संभावना कम है।’ इस रिपोर्ट में आईसीएमआर ने उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में युवा लोगों और वयस्कों की असामयिक मौतों का संबंध कोरोना टीकाकरण से था।

शोध के लिए 19 राज्यों से लिए गए थे सैंपल

आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान ने 18-45 वर्ष की आयु के ऐसे व्यक्तियों पर यह अध्ययन किया, जो स्वस्थ थे और जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी और जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु हुई। यह शोध 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में किया गया। शोध के दौरान 729 ऐसे मामलों के सैंपल लिए गए जिनकी अचानक मृत्यु हो गई थी और 2916 सैंपल ऐसे थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद बचा लिया गया था। शोध के निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक या दो खुराक लेने से बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है।

अचानक हुई मौतों का कारण क्या था?

शोध में कई ऐसे कारकों की भी पहचान की गई है जो अचानक मौत के जोखिम को बढ़ाते हैं, जिसमें मृतक का कोविड-19 अस्पताल में भर्ती होना, परिवार में पहले हुई अचानक मौत, मौत से 48 घंटे पहले अत्यधिक शराब का सेवन, नशीली दवाओं का सेवन और मौत से 48 घंटे पहले अत्यधिक शारीरिक गतिविधि (जिम में व्यायाम) शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि आईसीएमआर के अध्ययन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोविड-19 टीकाकरण और युवा वयस्कों में अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके बजाय, कोविड-19 अस्पताल में भर्ती होने का इतिहास, परिवार में ऐसी अचानक मौतों का इतिहास और कुछ जीवनशैली व्यवहार जैसे कारक ऐसी मौतों की संभावना को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार पाए गए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीकाकरण के दुष्प्रभावों पर नज़र रखने के लिए ‘प्रतिरक्षा के बाद प्रतिकूल घटना’ (AEFI) नामक एक मजबूत निगरानी प्रणाली लागू की गई है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण केंद्रों पर एनाफिलैक्सिस किट उपलब्ध कराई जाती है और टीकाकरण के बाद व्यक्ति को अनिवार्य रूप से 30 मिनट तक निगरानी में रखा जाता है। AEFI के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, नड्डा ने कहा कि वैक्सीन के दुष्प्रभावों से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग बढ़ाने के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रही है।

कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का मामला पहुंचा था कोर्ट

बता दें कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। इसी साल 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन के कारण खून के थक्के जमने जैसे साइड इफेक्ट का आरोप लगाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि ये याचिकाएं सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए दायर की गई थीं। कोविड वैक्सीन के कथित दुष्प्रभावों के आरोपों ने तब जोर पकड़ा जब ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इस साल अप्रैल में वहां की एक अदालत में स्वीकार किया कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन – कोविशील्ड – के दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

एस्ट्राजेनेका ने कहा था कि इसके दुष्प्रभाव होंगे

हालांकि कंपनी ने यह भी कहा था कि ऐसा बहुत ही दुर्लभ मामलों में ही होगा। आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित फॉर्मूले का इस्तेमाल कर भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन किया था। हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट ने दावा किया था कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का कोई मामला सामने नहीं आया है। ब्रिटिश कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने माना था कि उसकी कोरोना वैक्सीन 10 लाख में से एक मामले में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) का कारण बन सकती है। इस स्थिति में शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट काउंट काफी कम हो जाता है।

Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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