Mission Chandrayaan: मिशन चंद्रयान-3 के तहत अब चंद्रयान चांद के साउथ पोल (south pole) पर लैंडिंग की तैयारी कर रहा है। आपको बात दें कि Chandrayaan 3 अब चांद की सतह से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर ही है। ‘इसरो’ से मिली जानकारी मुताबिक लैंडर की आंतरिक चेकिंग की जा रही है। इन सबके बीच लैंडिंग के लिए तय जगह पर सूरज की रोशनी आने का इंतजार होगा। जैसे ही साउथ पोल पर सूरज की रोशनी पड़ेगी वैसे ही Chandrayaan 3 के लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।
भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ (ISRO) की जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन चांद के और करीब पहुंच गया है। आपको बता दें कि शनिवार 19 अगस्त देर रात करीब 2 बजे इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम में दूसरी बार डीबूस्टिंग की गई। जिसकी वजह से लैंडर मॉड्यूल (LM) यानी विक्रम लैंडर चांद की धरती के और करीब पहुंच गया है। इस दूसरी डीबूस्टिंग के साथ ही चांद पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग के काउंटडाउन की भी शुरुआत हो चुकी है। जिसके बाद विक्रम लैंडर अब चांद से महज 25 किलोमीटर दूर ही रह गया है बस। भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ का कहना है कि लैंडर (Vikram) और रोवर (Pragyan) वाले लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त की शाम को चांद की सतह पर पहुंचने की पूरी उम्मीद है।
जानें अभी किस पोजिशन में है लैंडर विक्रम
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अगर दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वास्तव में ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा। चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ मिशन पर है। डिबूस्टिंग की सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसका अर्थ ये है कि लैंडर को अब चांद के सतह के करीब लाया जा रहा है लेकिन अभी यह हॉरिजोंटल डायरेक्शन (horizontal direction) में है । इसे वर्टिकल डायरेक्शन (vertical direction) में किया जाएगा और फिर लैंडर विक्रम का टचडाउन होगा यानी भारत चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा।
भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ के अनुसार, लैंडर विक्रम 1.68 Km/sec की गति से horizontal direction में चांद की ओर बढ़ रहा है। लैंडर को 90 डिग्री वर्टिकल डायरेक्शन में लाया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया के वक्त विक्रम लैंडर की आंतरिक चेकिंग की जाएगी। इन सबके बीच लैंडिंग के लिए तय जगह पर सूरज की रोशनी आने का इंतजार होगा। जैसे ही साउथ पोल पर सूरज की रोशनी पड़ेगी वैसे ही Chandrayaan 3 लैंडिंग की कोशिश की जाएगी। इसरो इसके लिए पृथ्वी से कमांड भेजेगा। अभी भी प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है। चांद के बाहरी ऑर्बिट में यह महीनों या सालों तक चक्कर लगाता रहेगा। इसका मुख्य कार्य बस विक्रम लैंडर को चांद की कक्षा में पहुंचाना था।
Chandrayaan 3 की लैंडिंग चांद पर किस जगह होगी?
इसरो से मिली जानकारी के अनुसार, अभी लैंडर 25KM x 134KM की दूरी पर है लेकिन चांद पर लैंडिंग करने के लिए इसे 4KM x 2.4KM पर लाया जाएगा, जहां 69.3 डिग्री साउथ और 32.3 डिग्री ईस्ट में लैंडिंग होगी, ये एंगल चांद का साउथ पोल कहा जाता है। 17 अगस्त को जब लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ था ये मिशन अपने आखिरी चरण में पहुंच गया था। इसके बाद दो बार डिबूस्टिंग की प्रक्रिया पूरी की गई और जैसे ही दूसरी बार डीबूस्टिंग की गई। वैसे ही लैंडर मॉड्यूल (LM) यानी विक्रम लैंडर चांद की धरती के और करीब पहुंच गया है। इस दूसरी डीबूस्टिंग के साथ ही चांद पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग के काउंटडाउन की भी शुरुआत हो चुकी है।
चांद पर लैंडिंग के बाद Chandrayaan 3 के क्या होंगे कार्य
चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है। लैंडर विक्रम अपने लैंडिंग के लिए सुरक्षित और रिस्क मुक्त इलाका खोजेगा। इसके लिए लैंडिंग से पहले साइट की इमेजिंग की जाएगी। फिर चांद की सतह पर उतरने के बाद लैंडर कुछ देर रेस्ट करेगा। लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा। जो दुनिया को ये बताएगा कि असल में चांद पर पानी जमा है या नहीं ? इसके अलावा रोवर और कई तरह के वैज्ञानिकी रिसर्च को भी अंजाम देगा। रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के एक दिन या पृथ्वी के हिसाब से 14 दिनों तक सक्रिय रहेगा। एक चंद्र दिवस के बराबर चंद्रमा की सतह पर रहकर रोवर प्रज्ञान परीक्षण करेगा। आपको बता दें कि चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है।
Chandrayaan 3 की चांद पर लैंडिंग 23 अगस्त को शाम लगभग 06:04 बजे लैंडिंग होगी। इस बीच लैंडिंग से पहले लैंडर की गति धीमी की जाएगी।
अगर दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वास्तव में ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा।