अमेरिकी खुफिया विभाग की तरफ से दावा किया गया है कि दुनिया भर में कोरोना जैसी महामारी चीन के वुहान लैब से ही फैली है। इस बात का खुलास अमेरिकी एनर्जी विभाग ने किया है। अमेरिका का कहना है कि जो फैक्ट्स सामने आ रहे है उससे साफ़ लगता है कि वुहान लैब से ही कोरोना के वायरस दुनिया भर में पहुंचे हैं और लाखो लोगो की जाने चली गई। हालांकि एनर्जी विभाग की इस रिपोर्ट पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। कई वैज्ञानिको ने इस रिपोर्ट को अभी कमजोर माना है और कहा है कि ठोस तौर पर अभी दावा नहीं किया जा सकता कि वुहान लैब की इसमें भूमिका है।
अमेरिकी एनर्जी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना का वायरस वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से ही लीक हुआ है। फिर यह दुनिया भर में फ़ैल गया। हालांकि चीन पर यह आरोप पहले भी लगते रहे हैं और चीन बार -बार इस आरोप को ख़ारिज करता रहा है। हालांकि सच तो यह भी है कि अमेरिका पर भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। अभी कुछ महीने पहले ही कुछ वैज्ञानिको ने यह दावा किया था कि अमेरिकी सरकार चीन में कोरोना वायरस बनाने के लिए बड़े स्तर पर फंड भेज रही थी। इस दावे के बाद अमेरिका की काफी आलोचना भी की गई लेकिन बाद में सारे मामले शांत हो गए हैं। लेकिन जिस वैज्ञानिक ने अमेरिकी सरकार को घेरा था उसकी विश्वसनीयता काफी है।
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वायरस पर काम करने वाले वैज्ञानिक एंड्रू हफ ने साफ़ तौर पर कहा था कि चीन में जो भी वायरस बन रहा था उसमे अमेरिकी नेशनल इंस्टीटूट्स का सहयोग था। अमेरिका ने ही चीन को वायरस बनाने की तकनीक दी। यह तकनीक बेहद खतरनाक तकनीक है। हफ ने यहां तक कहा था कि चीन को पहले से ही यह सब पता था कि कोरोना कोई नेचुरल वायरस नहीं है। यह जेनेटिकली मोडिफाई करके बनाया गया था इसी वजह से यह लैब से लीक भी हुआ और दुनिया को भयंकर त्रासदी दे गया।
अमेरिकी दावे के साथ ही चीन के दावे चाहे जो भी हो लेकिन इतना तो साफ़ है कि कोरोना के वायरस को कृत्रिम आधार पर तैयार किया गया था। हालांकि दुनिया के कई वैज्ञानिको ने कोरोना बीमारी को ही चुनौती दी है और कहा है कि दुनिया भर के कई एनजीओ जिनका फार्मा उद्योग पर कब्जा है, अपने लाभ के लिए इस तरह की बीमारी से लोगो को भयभीत किया और दुनिया की सरकार और तमाम तंत्र को पैसे देकर दुनिया को लूटने का काम किया है। सच जो भी हो लेकिन कोरोना की वजह से लाखों -करोडो की मौत तो हो ही गई।