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FRAUD CASE IN HALDWANI: हल्द्वानी में सेवानिवृत्त कर्मचारी से 10 लाख की साइबर ठगी, पुलिस जांच में जुटी

FRAUD CASE IN HALDWANI: हल्द्वानी में एक सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें ठगों ने उनसे 10 लाख रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित व्यक्ति करीब एक महीने पहले सेवानिवृत्त हुए थे और ठगों ने किसी न किसी बहाने से उन्हें झांसे में लेकर इतनी बड़ी रकम हड़प ली। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और साइबर अपराधियों का पता लगाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर पड़ताल जारी है।

FRAUD CASE IN HALDWANI: साइबर ठगी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और हाल ही में हल्द्वानी के पास कालाढूंगी क्षेत्र में एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को शिकार बनाया गया। यूपी पुलिस के सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मोहन सिंह से साइबर ठगों ने 10 लाख रुपये की ठगी की। यह घटना उनकी सेवानिवृत्ति के कुछ ही दिनों बाद हुई, जिससे उनका पूरा परिवार मानसिक और आर्थिक संकट में आ गया है।

कैसे हुआ ठगी का शिकार?

कालाढूंगी थाना क्षेत्र के कोटाबाग निवासी मोहन सिंह 31 दिसंबर को यूपी पुलिस में चतुर्थ श्रेणी पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनके पेंशन और अन्य वित्तीय कार्य ट्रेजरी कार्यालय में प्रचलित थे। इसी दौरान साइबर अपराधियों ने उन्हें अपने जाल में फंसा लिया। ठगों ने किसी आधिकारिक बैंक या ट्रेजरी से संबंधित होने का नाटक करते हुए मोहन सिंह को कॉल किया और उनकी पेंशन प्रोसेसिंग से जुड़ी जानकारियां मांगी।

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विश्वास में लेकर ठगों ने मोहन सिंह के बैंक खाते और अन्य संवेदनशील जानकारी प्राप्त कर ली। कुछ ही समय में, उनके खाते से 10 लाख रुपये निकाल लिए गए। जब उन्हें इस धोखाधड़ी का एहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पुलिस में दर्ज कराई शिकायत

घटना के बाद मोहन सिंह ने कालाढूंगी थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि ठगों ने किस प्रकार उन्हें गुमराह किया और उनकी जीवनभर की जमा पूंजी लूट ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है। हल्द्वानी साइबर सेल को भी इस मामले में जांच के लिए शामिल किया गया है।

FRAUD CASE IN HALDWANI: Cyber ​​fraud of Rs 10 lakh from a retired employee in Haldwani, police engaged in investigation.

कालाढूंगी पुलिस थाने के प्रभारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। “हम तकनीकी सहायता के जरिए ठगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर सेल को ठगों की कॉल डिटेल और बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए गए हैं,” उन्होंने कहा।

ठगी के बाद गहरे सदमे में परिवार

मोहन सिंह और उनका परिवार इस घटना के बाद गहरे सदमे में है। उन्होंने बताया कि यह पैसा उनके पेंशन और भविष्य के खर्चों के लिए था। मोहन सिंह ने कहा, “यह मेरी जिंदगीभर की मेहनत की कमाई थी। मैं सेवानिवृत्ति के बाद शांतिपूर्ण जीवन जीने की योजना बना रहा था, लेकिन इस घटना ने हमें बर्बाद कर दिया।”

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उनकी बेटी ने बताया कि उनके पिता पहले से ही अपने पेंशन संबंधी कार्य को लेकर परेशान थे। इस ठगी ने उनकी मानसिक स्थिति और बिगाड़ दी है। परिवार ने पुलिस और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है ताकि ठगों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।

साइबर ठगों के बढ़ते हौसले

हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ठग अलग-अलग तरीके अपनाकर लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे हैं। कभी बैंक अधिकारी बनकर, तो कभी पेंशन या लॉटरी का झांसा देकर वे लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं।

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ठग आमतौर पर बुजुर्ग और तकनीकी ज्ञान से अंजान लोगों को निशाना बनाते हैं। पुलिस ने भी नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है।

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पुलिस और साइबर सेल की अपील

पुलिस और साइबर सेल ने इस मामले को लेकर जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी अनजान व्यक्ति से अपने बैंक खाते, ओटीपी, पिन, या अन्य संवेदनशील जानकारी साझा न करें। बैंक और सरकारी संस्थाएं ऐसी जानकारी कभी फोन पर नहीं मांगतीं।

साइबर सेल के एक अधिकारी ने बताया, “सभी को यह समझने की जरूरत है कि ठगी से बचने का सबसे अच्छा तरीका सतर्क रहना है। अगर किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर संदेह हो, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें।”

न्याय की उम्मीद

मोहन सिंह और उनका परिवार अब पुलिस और साइबर सेल से न्याय की उम्मीद लगाए हुए है। प्रशासन के लिए यह एक चुनौती है कि वे ठगों को पकड़कर मोहन सिंह की गाढ़ी कमाई वापस दिला सकें। इस घटना ने साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर कर दिया है।

फिलहाल, पुलिस और साइबर सेल मामले की गहन जांच कर रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि ठग जल्द ही पकड़े जाएंगे।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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