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यूपी में यात्रियों को बड़ा झटका, सफर करना हुआ महंगा, ई-बसों का इतने रुपए बढ़ा किराया

UP E Bus Travel Costlier : देश में एक ओर जहां महंगाई अपने चरम स्तर पर पहुंच चुकी हैं तो वहीं अब उत्तर प्रदेश में लोगों को एक और महंगाई का झटका लगा है और ये झटका सीधा ई-बस से सफर करने वाले यात्रियों की जेब पर पड़ा है। सूबे में अब से ई-बसों के किराए में बढ़ोत्तरी की गई है। जिसके बाद अब नई दरें लागू हो गई है।

उत्तर प्रदेश में नगरीय परिवहन निदेशालय की तरफ से शहरी क्षेत्र में रफ्तार भरने वाली ई-बसों के संचालन में नया नियम लागू किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के परिवहन निदेशालय की तरफ से बदले गए नियम के तहत नया ऐलान किया गया है। जिसमें एक बार फिर ई- बसों के किराए में इजाफा किया गया है। बढ़ते दामों की वजह से सूबें की जनता को बढ़ती महंगाई के बीच एक तगड़ा झटका लगा है। इतना ही नहीं इससे पहले भी यात्रियों को किराए के बढ़ते दामों की मार झेलनी पड़ी थी। जब यूपी में रोडवेज बसों का किराया फरवरी महीने के दौरान ही बढ़ाया गया था।

उत्तर प्रदेश में नगरीय परिवहन निदेशालय की तरफ से बढ़ाया गया किराया लोगों की जेब पर सीधा असर डालने वाला है। शहरी क्षेत्र में रफ्तार भरने वाली ई- बसों का किराया बढ़ाया गया है। जिसमें 2 से 5 रुपए का इजाफा किया गया है इससे पहले फरवरी में भी किराया बढ़ाया गया था। अब तक पूरे साल में दो बार किराया बढ़ाया गया है। फरवरी में रोडवेज बसों का किराया करीब 24 प्रतिशत बढ़ाया गया था। फरवरी में किराया बढ़ाने का फैसला राज्य परिवहन प्राधिकरण की तरफ से किया गया था।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में ई-बस, का संचालन नगरीय परिवहन विभाग के तले होता है। तो इस बार भी नगरीय परिवहन विभाग ने किराया बढ़ाने का फैसला लिया है। AC बसों में सफर तय करने कि लिए किसी भी यात्री को पांच रूपए अतिरिक्त भुगतान करने पड़ेंगे। इस नए नियम के अनुसार बस में सफर करने के लिए किसी भी यात्री को न्यूनतम 12 रुपए और अधिकतम 55 रूपए भरने होंगे। ये भी बता दें कि ये किराया किलोमीटर के हिसाब से रखा गया है। उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में सिटी बसों का किराया एक जैसा करने के लिए अलग-अलग दूरी के हिसाब से तय किया गया है। यानी की अभी तक सिटी बस और इलेक्ट्रिक बस का किराया अलग-अलग था जिसकी वजह से कई यात्रियों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती थी। ऐसी स्थिति को देखते हुए ही उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग को ऐसा फैसला लेना पड़ा।

Priyanshi Srivastava

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