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Raksha Bandhan 2024: भद्रा काल के बावजूद पूरे दिन मनेगा त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और परंपराओं का महत्व

Despite Bhadra Kaal, the festival will be celebrated throughout the day, know the importance of auspicious time and traditions

इस साल 19 अगस्त 2024, सोमवार को धूमधाम से रक्षाबंधन मनाया जाएगा। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है,यह खास त्योहार श्रावण महीने की पूर्णिमा को आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं और उन्हें प्यार और आशीर्वाद के साथ उपहार देते हैं।

भद्रा काल को लेकर चिंता

इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल के लगने की खबर से कई लोगों के बीच चिंता का माहौल है। भद्रा काल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है, और इसलिए बहनों को यह चिंता सता रही है कि वे अपने भाइयों की कलाई पर राखी कैसे बांधेंगी। लेकिन इस साल की खासियत यह है कि ज्योतिषाचार्यों ने इस भद्रा काल को लेकर एक राहत भरी खबर दी है।

भद्रा काल का पृथ्वी पर नहीं रहेगा असर

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल का समय दोपहर 01:33 बजे तक रहेगा। हालांकि, चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में होगा। इसका अर्थ यह है कि भद्रा काल का पृथ्वी पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा।

शुभ मुहूर्त: कब बांधे राखी?

रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए सबसे शुभ समय दोपहर 01:46 बजे से शाम 04:19 बजे तक रहेगा। यह समय 2 घंटे 33 मिनट का होगा, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इसके अलावा, अगर यह समय किसी कारणवश निकल जाए, तो प्रदोष काल में भी राखी बांधने का विशेष मुहूर्त रहेगा। प्रदोष काल शाम 06:56 बजे से रात 09:07 बजे तक रहेगा, जो कि राखी बांधने के लिए एक और शुभ समय प्रदान करता है।

राहु काल से बचें

भद्रा काल के साथ-साथ रक्षाबंधन के दिन राहु काल का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। इस दिन सुबह 7:31 बजे से लेकर 9:08 बजे तक राहु काल रहेगा। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए, इसलिए इस समय में राखी बांधने से परहेज करें।

रक्षाबंधन के अनुष्ठान और परंपराएं

रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान की पूजा करें और एक थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें। घी का एक दीपक जलाएं और रक्षा सूत्र को भगवान को समर्पित करें। फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करवाकर एक चौकी पर बैठाएं। पहले भाई को तिलक लगाएं, फिर रक्षा सूत्र बांधें और उसके बाद उसकी आरती उतारें। भाई को मिठाई खिलाएं और उसके सुखी और सुरक्षित जीवन की कामना करें।

रक्षाबंधन के इस अनुष्ठान के दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि भाई और बहन दोनों का सिर ढका हुआ हो। राखी बांधने के बाद माता-पिता या गुरुजनों का आशीर्वाद लेना न भूलें। इसके बाद भाई बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें। उपहार में ऐसी वस्तुएं देने का प्रयास करें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों। काले वस्त्र या नुकीली धारदार वस्तुएं उपहार में देने से बचें।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

रक्षाबंधन का यह त्योहार सदियों पुरानी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इतिहास में यह उल्लेख मिलता है कि राजसूय यज्ञ के समय द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की उंगली पर चोट लगने पर अपने आंचल का टुकड़ा फाड़कर उन्हें बांधा था। इसे रक्षा सूत्र माना गया और तभी से राखी बांधने की परंपरा का प्रारंभ हुआ। इस पवित्र पर्व का महत्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और उनकी एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी को भी दर्शाता है।

कैसे मनाएं रक्षाबंधन?

रक्षाबंधन के दिन की तैयारी में विशेष ध्यान रखना चाहिए। बहनें इस दिन के लिए विशेष रूप से राखियां तैयार करती हैं और भाइयों के लिए उपहार का चुनाव करती हैं। भाई भी इस दिन अपनी बहनों के लिए विशेष उपहार खरीदते हैं और उनके जीवन में खुशियां लाने की कोशिश करते हैं।

रक्षाबंधन का यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का एक विशेष अवसर होता है। इस साल, भद्रा काल के बावजूद पूरे दिन राखी बांधने की अनुमति होने से लोगों में खुशी का माहौल है। रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व को अपने परिवार के साथ मनाएं और भाई-बहन के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाएं।

Mansi Negi

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