Uttarakhand Disaster Management: मानसून से पहले तैयारियों में जुटा आपदा प्रबंधन विभाग, सड़कों और पुलों की हो रही जांच
उत्तराखंड में आगामी मानसून को देखते हुए सरकार ने आपदा प्रबंधन और सड़क सुरक्षा तैयारियों को तेज कर दिया है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में मशीनें तैनात की गई हैं, जबकि चारधाम यात्रा की सुरक्षा को लेकर भी सतर्कता बरती जा रही है।
Uttarakhand Disaster Management: उत्तराखंड में 15 जून के आसपास मानसून के दस्तक देने की संभावना है। हर वर्ष की भांति इस बार भी मानसून से पहले प्रदेश में आपदा जैसी परिस्थितियों से निपटने की तैयारी तेज कर दी गई है। विशेष रूप से चारधाम यात्रा और पर्वतीय इलाकों में सड़कों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड में डाल दिया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन सबसे बड़ी चुनौती
राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, हर मानसून में भूस्खलन और सड़क बाधाओं की समस्या आम बात बन चुकी है। खासकर पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के कारण सड़कें टूट जाती हैं और पुल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे न केवल स्थानीय लोगों को दिक्कत होती है, बल्कि चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यात्रियों को कई बार घंटों लंबा इंतजार और ट्रैफिक जाम झेलना पड़ता है।
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लोक निर्माण विभाग ने की तैयारी पूरी
लोक निर्माण विभाग ने मानसून को लेकर विशेष तैयारी शुरू कर दी है। विभाग के सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि उन सभी स्थानों की पहचान कर ली गई है जहां हर साल भूस्खलन होता है। उन स्थानों पर पहले से ही जेसीबी मशीनें और मैनपावर तैनात किया गया है, ताकि आपात स्थिति में तत्काल मलबा हटाकर मार्ग सुचारु किया जा सके। साथ ही, विभाग की ओर से सभी पुलों का मानसून पूर्व निरीक्षण कराया जा रहा है। यह जांच हर साल दो बार की जाती है — पहली मानसून से पहले और दूसरी मानसून के बाद।
चारधाम यात्रा पर भी नजर
पर्यटन मंत्री और लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार ने चारधाम यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है। उन्होंने बताया कि पुराने पुलों की मजबूती की जांच के निर्देश दिए गए हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मानसून के दौरान यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भले ही कम हो, लेकिन सुरक्षा और सुविधा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारी
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस बार सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। इसके चलते आपदा की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। जल्द ही मौसम विभाग के सहयोग से एक वर्कशॉप आयोजित की जाएगी जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स को शामिल किया जाएगा और उन्हें सावधानी संबंधी जानकारियां दी जाएंगी।
कम से कम नुकसान की रणनीति
आपदा प्रबंधन विभाग का मुख्य उद्देश्य संभावित आपदाओं में होने वाले नुकसान को न्यूनतम करना है। इसके लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर संपूर्ण व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। प्रशासन की प्राथमिकता है कि मानसून के दौरान यातायात बाधाएं कम हों, लोगों को समय पर राहत मिले और जान-माल का नुकसान न हो।
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उत्तराखंड सरकार और प्रशासन मानसून से पहले हर संभव तैयारी में जुट गए हैं। सड़कों, पुलों और संवेदनशील स्थानों पर विशेष नजर रखी जा रही है। चारधाम यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इन तैयारियों के जरिए सरकार मानसून के दौरान प्रदेशवासियों और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है।
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