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FARMS SUBMERGED IN KHATIMA: खटीमा में शारदा सागर डैम का जलस्तर बढ़ने से गांवों में घुसा पानी, किसानों की फसलें जलमग्न

FARMS SUBMERGED IN KHATIMA: खटीमा में शारदा सागर डैम का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है, जिससे स्थानीय किसान बेहद परेशान हैं। खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलें खराब होने की कगार पर हैं, जबकि कई घरों में भी पानी घुस गया है। इस स्थिति ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बताया जा रहा है कि यह समस्या शारदा सागर डैम से जुड़ी है, जहां जलस्तर बढ़ने से आसपास के इलाकों में पानी फैल गया है, जिससे किसानों की खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं और उनका भारी नुकसान हुआ है।

FARMS SUBMERGED IN KHATIMA : उत्तराखंड के खटीमा क्षेत्र में शारदा सागर डैम का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। बगुलिया, बलुआ, खटीमा बंधा, खैरानी सहित कई सीमांत गांवों में पानी भर जाने से सैकड़ों एकड़ गन्ने की फसल जलमग्न हो गई है। डैम में बढ़ते जलस्तर के कारण खेतों में पानी भर गया, जिससे किसानों की सालभर की मेहनत बर्बाद होने की कगार पर है। साथ ही, कई ग्रामीणों के घरों में भी पानी घुस गया है, जिससे उनका सामान्य जनजीवन प्रभावित हो गया है।

जानकारी के मुताबिक, यूपी सिंचाई विभाग द्वारा डैम में पानी भरने के कारण उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में यह समस्या उत्पन्न हुई है। स्थानीय किसानों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि हर साल शारदा सागर डैम का जलस्तर बढ़ने से उनकी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। किसान लंबे समय से उत्तराखंड सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने और स्थायी समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं।

गन्ने की फसल को भारी नुकसान, किसानों में आक्रोश

इस बार डैम का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा नुकसान गन्ने की फसल को हुआ है, जो कटाई के लिए तैयार थी। डैम से निकला पानी खेतों में भर जाने से फसल पूरी तरह डूब चुकी है। किसानों का कहना है कि वे सालभर की मेहनत और पूंजी लगाकर गन्ना उगाते हैं, जिसे चीनी मिलों में भेजा जाता है। लेकिन हर साल पानी भर जाने से उनकी उपज बर्बाद हो जाती है और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

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किसानों ने आरोप लगाया कि यूपी सिंचाई विभाग द्वारा डैम का जलस्तर बिना किसी पूर्व सूचना के बढ़ा दिया जाता है, जिससे सीमांत इलाकों में रहने वाले किसान और ग्रामीण प्रभावित होते हैं।

राज्य किसान आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने किया प्रभावित क्षेत्र का दौरा

ग्रामीणों की सूचना पर उत्तराखंड राज्य किसान आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष सरदार राजपाल सिंह प्रभावित इलाकों में पहुंचे और नाव से जलमग्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने खेतों और घरों को हुए नुकसान का जायजा लिया और किसानों से उनकी समस्याएं सुनीं।

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उन्होंने मौके पर ही यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारियों से फोन पर बात कर डैम का जलस्तर कम करने की अपील की ताकि पानी का बहाव कम हो और किसानों को कुछ राहत मिल सके।

सरदार राजपाल सिंह ने आश्वासन दिया कि वह जल्द ही इस मुद्दे को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने उठाएंगे और समस्या के स्थायी समाधान के लिए प्रयास करेंगे।

स्थानीय ग्रामीणों की मांग—जलभराव की समस्या का हो स्थायी समाधान

डैम से प्रभावित स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने बताया कि वे पिछले 60 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और खेती तथा मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन हर साल जब यूपी सिंचाई विभाग शारदा सागर डैम में पानी भरता है, तो उत्तराखंड की भूमि में बसे किसानों की फसलें और घर जलमग्न हो जाते हैं।

ग्रामीणों ने उत्तराखंड सरकार से डैम का जलस्तर नियंत्रित रखने और पानी निकासी के लिए वैकल्पिक उपाय करने की मांग की है ताकि हर साल होने वाले इस नुकसान से बचा जा सके।

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किसानों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में वे खेती छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने मांग की है कि या तो यूपी सिंचाई विभाग को डैम का जलस्तर नियंत्रित रखने के निर्देश दिए जाएं या फिर उत्तराखंड सरकार जल निकासी के लिए कोई ठोस योजना बनाए।

शारदा सागर डैम: उत्तराखंड और यूपी के बीच एक विवादित मसला

गौरतलब है कि शारदा सागर डैम का आधा हिस्सा उत्तराखंड और आधा उत्तर प्रदेश में आता है, लेकिन इसका संपूर्ण संचालन यूपी सिंचाई विभाग के अधीन है। वर्षों से उत्तराखंड के सीमांत गांवों में किसान इस डैम के खाली क्षेत्र में खेती करते आ रहे हैं।

हालांकि, जब-जब यूपी सिंचाई विभाग द्वारा डैम में पानी भरा जाता है, तब-तब उत्तराखंड के खेतों में पानी भर जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।

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इस मसले पर उत्तराखंड सरकार और यूपी सरकार के बीच कोई ठोस सहमति नहीं बनी है, जिसके कारण हर साल सीमांत गांवों में रहने वाले लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है।

सरकार से गुहार: गन्ने की फसल समय पर मिलों तक पहुंचाने के लिए जलस्तर कम किया जाए

किसानों का कहना है कि यदि जलभराव जल्द नहीं हटा तो गन्ने की कटाई और उसकी सप्लाई प्रभावित होगी। इस समय गन्ने की फसल पूरी तरह तैयार है और उसे जल्द से जल्द मिलों में पहुंचाना जरूरी है, अन्यथा वे आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएंगे।

उन्होंने उत्तराखंड सरकार और प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप करने और यूपी सिंचाई विभाग से बात कर जलस्तर कम करने की मांग की है।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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