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Earth Hour Electricity Save: एक घंटे के लिए पूरी दुनिया में छा गया अंधेरा, जानिए ऐसा क्यों हुआ?

Earth was on energy saving mode for an hour.

Earth Hour Electricity Save: गांव और शहरों में बिजली का जाना एक साधारण बात होती है, लेकिन आप सोचकर देखिए कि भारत में एक घंटे के लिए बिजली गुल हो जाए…..तो फिर क्या होगा, जी हां क्या शहर, क्या गांव, क्या सरकारी आवास…क्या प्राइवेट आवास, हर जगह अंधेरा ही अंधेरा हो जाए तो क्या होगा।

जी हां दरअसल आपको बता दें कि भारत समेत पूरे विश्व में अर्थ आवर डे मनाया गया। हिंदुस्तान में भी इस दिन को जोरों शोरों से मनाया गया। इस दौरान पूरी दुनिया में एक घंटे के लिए बत्ती गुल रही। इंडिया गेटे से लेकर हावड़ा ब्रिज तक देश के कई हिस्सों में बत्ती गुल हो गई और अंधेरा छाया रहा। बता दें कि अर्थ आवर डे के दौरान पूरी दुनिया में 8.30 बजे से लेकर 9.30 तक लाइट बंद रखी गई और इस दिन को मनाया गया।

आखिर क्या है मकसद ?

अब सवाल ये कि आखिर अर्थ ओवर डे क्यों मनाया जाता है इसका मकसद क्या है। तो बता दें  कि अर्थ ओवर डे का मकसद का बिजली की खपत को बचाना और जनता को नेचर और क्लाइमेट चेंज के बारे में जागरूक करना। अर्थ ओवर डे की शुरुआत सबसे पहले सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया से 2007 में हुई थी।

दिल्ली के लालकिले पर लाइट को बंद रखा गया….जिससे की वहां पर अंधेरा छा गया। तो वहीं कोलकाता के हावरा ब्रिज पर भी लाइटों को बंद रखा गया, जिससे की यहां पर भई अंधेरा छाया, दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में 8.30 बजे से 9.30 बजे तक लाइटों को बंद रखा गया। करीब एक घँटे तक यहां पर अंधेरा रहा। EarthHour के उपलक्ष्य में मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर रात 8.30 बजे से 9.30 बजे तक एक घंटे के लिए लाइटें बंद कर दी गईं।

वैसे तो हर साल मार्च के आखिरी शनिवार को ‘अर्थ आवर डे’ मनाया जाता है। लेकिन इस बार यह तारीख 23 मार्च यानी कल को पड़ी है। पिछले साल की बात करें तो 25 मार्च को ‘अर्थ आवर डे’ मनाया गया था। इस डे को मनाने का मकसद है बिजली की खपत को बचाना।

आखिर कहां हुई सबसे पहले शुरुआत ?

सबसे पहले की अगर बात की जाए तो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में इस दिन को मनाया गया था। हर साल करोड़ों की संख्या में लोग बिजली की सप्लाई को रोक देते हैं। जिससे की बिजली की खपत हो जाती है और लोगों को जागरूक भी किया जाता है।

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