नई दिल्ली: इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है, एक न एक दिन उसकी मौत अवश्य होगी। यह एक सार्वभौमिक सत्य है। लेकिन नियम कोई भी हो, उसका कुछ न कुछ अपवाद जरुर होता है। ऐसा ही एक अपवाद जीवन-मरण से संबंधित है। मनुष्य मरणशील है और आत्मा अमर है। लेकिन एक सच यह भी है कि दुनिया में आठ ऐसे महापुरुष हैं जो अब तक अजर-अमर हैं।
हिन्दू शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार इस दुनिया में आठ महापुरुष ऐसे हैं, जो अमर हैं। ये लोग अनन्त काल तक अमर रहेंगे। माना जाता है कि ये सभी महापुरुष कलियुग में हमारे बीच हैं, लेकिन अदृश्य हैं। भारत में कई ऐसी इमारतें हैं जो इन महापुरुषों से नाता रखती हैं।
मार्कंडेय जी
मार्कंडेय जी एक नामी ऋषि थे। जिनके नाम का अर्थ है, मौत से विजय प्राप्त करना। मार्कंडेय जी भगवान विष्णु और शिव के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान शिव ने मार्कंडेय जी को मौत के मुंह में जाने से बचाया था, तब से मार्कंडेय जी को चिरंजीवी कहा जाता है।
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। कहा जाता है कि अश्वत्थामा के माथे पर जन्म से ही एक मणि थी, जो उसको हर बाधा से बचाती थी। महाभारत के अंत में अश्वत्थामा ने अभिमन्यु के पुत्र पर ब्रह्मास्त्र चला दिया था। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उसके माथे से वह मणि निकलवा ली और उसे शाप दिया था कि तुम अमर रहोगे और हमेशा तड़पते रहोगे।
वेद व्यास
वेद व्यास को महाभारत का रचयिता कहा जाता है। ये ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार वेद व्यास अभी भी धरती पर मौजूद हैं।
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राजा बलि
बलि जो दैत्यों के राजा थे। उनकी सरल, सौम्य स्वभाव और अन्नय भक्ति के कारण भगवान विष्णु ने उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया था।
कृपाचार्य
कृपाचार्य कुरु राजघराने के कुल गुरु थे। कृपाचार्य महर्षि शरद्वान के पुत्र थे। इनका पालन-पोषण भीष्म के पिता महाराज शांतनु ने किया था। इनकी एक बहन भी थी कृपी। शुरुआत में कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु नियुक्त किए गए थे। कृपाचार्य को भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त था।
विभीषण
विभीषण रावण का सबसे छोटा भाई था। जब रावण सीता का हरण करके लाया था, तब विभीषण ने रावण को समझाने का प्रयास किया था, कि ये गलत है। इस बात को लेकर रावण ने विभीषण को देश से निकाल दिया था। जिसके बाद विभीषण ने भगवान राम के साथ मिलकर रावण के विरूद्ध लड़ाई लड़ी थी। अच्छाई का साथ देने के लिए राम ने विभीषण को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला था।
हनुमान
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पवन पुत्र हनुमान भगवान राम के अन्नय भक्त थे। हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा गया है। हनुमान जी को भी चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला हुआ था। जब भगवान राम रावण का वध करके आ रहे थे तब मोक्ष पाने की जगह हनुमान ने भगवान राम के भक्तों की रक्षा करने का मार्ग चुना था।
परशुराम
परशुराम को भगवान राम का 6ठां अवतार कहा जाता है। परशुराम महर्षि जमदग्नि के पुत्र थे। इन्होंने 21 बार क्षत्रियों का धरती से संहार किया था। परशुराम को भगवान शिव ने एक कुल्हाड़ी दी थी। ऐसा माना जाता है परशुराम कलियुग के अंत में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार के समय कल्कि के गुरु के रूप में वापस आएंगे।