Electoral Bond Game: जिन कंपनियों पर पड़े छापे, उसने दिए भरपूर चंदा
Electoral Bond Game: चुनावी बांड की कहानी हालांकि अभी पूरी तरह से सामने नहीं आयी है लेकिन जो भी जानकारी अभी सामने आयी है उससे साफ़ हो गया है कि चंदा के जरिये धंधा बढ़ाने का अद्भुत खेल है। हालांकि अब इस खेल को सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है और इस पुरे खेल को ही असंवैधानिक बता दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद बीजेपी मौन है। यह भी सच है कि इस चंदे के गोरखधंधा में कांग्रेस समेत तमाम पार्टियां भी बीजेपी की सहयोगी रही है। सभी ने खूब चंदे लिए। किसी ने अरबो के चंदे लिए तो कोई हजारों करोड़ के चंदे पर ही संतोष कर लिए। मौजूदा राजनीति को अगर चंदे के इस नजरिये से देखा जाए तो साफ़ हो जाता है कि यह सब देश को मिलकर लूटने का बड़ा षड्यंत्र था।
अभी तो इस चंदे की जांच ही शुरू हुई है। देश के बहुत से पत्रकार ,समाजसेवी और कई और संगठन अपनी तरफ से इसकी जांच कर रही है। लेकिन ऊपरी जांच से जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है उससे जाहिर होता है कि आजाद भारत का यह ऐसा डाका है जिसमे सभी पार्टियां देश के साथ कोई न कोई समझौता करती दिख रही है। खेल बड़ा ही विचित्र था। जिनसे चंदे की अगुआई की, देश की संपत्ति को उसके ही हवाले कर दिया गया। किसी को बड़े ठेके दिए गए तो किसी को सरकारी नौकरी ही दे दी गई। भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने इस खेल पर ध्यान दिया और फिर सबकुछ सामने आ गया।
इस खेल ने मौजूदा सरकार की ईमानदारी को भी खत्म कर दिया। कहने को तो सरकार के लोग कुछ भी कहें लेकिन सच यही है कि सरकार का इकबाल अब पहले वाला नहीं रहा। पीएम मोदी की जो छवि थी उसपर भी भद्दा ही लगा है। बीजेपी की राजनीति कैसे चलती है यह सब समझकर अब देश की जनता भी समझ गई है कि इस पार्टी के पास इतने पैसे कहाँ से आते हैं।
इस खेल से आरबीआई की साख भी खत्म हो गए। साख तो उसी वक्त ख़त्म हो गई थी जब उस बैंक के अरबो करोड़ रुपये घपले के शिकार हो गए। कहा तो यहाँ तक जाता है कि बैंक के लोग ने ही मिलकर उन लोगों की मदद की जिसने बैंक को डुबा दिया। और अब चुनावी बांड ने तो एसबीआई की साख को ही गिरा दिया। अब एसबीआई कहाँ मुँह छुपा सकती है यह भी देखने की बात होगी।
आज कांग्रेस ने भी चुनावी बांड के खेल को सामने रखा है। पार्टी ने कहा है कि 1300 से अधिक व्यक्तियों ने चुनावी बांड के रूप में दान दिया है। जिसमे से 2019 के बाद से बीजेपी को 6000 करोड़ से ज्यादा के चंदे मिले हैं। कांग्रेस ने कहा है कि इस चुनावी बांड के डाटा से बीजेपी की चार भरष्ट नीतियां सामने आती है। चंदा दो और धंधा लो, हफ्ता वसूली, रिश्वत लेने का नया तरीका और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग।
कांग्रेस ने कहा है कि जिन कंपनियों ने चुनावी चंदे दिए उसके तुरंत बाद सरकार से उसे भारी लाभ हुआ। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ़्रा ने 800 करोड़ का दान दिया। अप्रैल 2023 में उसने 140 करोड़ का डोनेट किया और ठीक एक महीने बाद उसे 14400 करोड़ का ठेका थाणे बोरीवली ट्विन टनल का प्रोजेक्ट मिल गया। इसी तरह से जिंदल स्टील एंड पावर ने सात अक्टुबर 2022 को चुनावी बांड में 25 करोड़ दिए और तीन दिन बाद दस अक्टुबर को गारे पाल्मा कोयला खदान पाने में वह सफल हो गया।
खेल इतना भर ही नहीं था। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी हफ्ता वसूली भी करती रही। ईडी ,सीबीआई एयर आईटी के माध्यम से किसी कंपनी पर छापा मारो और फिर कंपनी की सुरक्षा के लिए हफ्ता मांगो। शीर्ष 30 दानदाताओं में से 14 पर छापे मारे गए और फिर सब कुछ ठीक हो गया।