Chandrashekhar Ravan: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (CM KCR) की बेटी कविता की चंद्रशेखर रावण (Chandrashekhar Ravan) से मुलाकात के बाद यूपी की सियासत तेज हो गई है। कयास लग रहे हैं कि केसीआर की पार्टी बीआरएस अब उत्तर भारत में पांव पसार रही है और खासकर यूपी में इस बार दखल देने की तैयारी में है। हालांकि अभी यह सब कयास ही है। चंद्रशेखर के साथ कविता (KCR Daughter Kavita) की क्या बात हुई है और क्या कुछ योजना बनी है इसकी जानकारी तो किसी को नहीं है लेकिन सम्भावना इस बात की बढ़ गई है कि बीआरएस यूपी के चुनाव में हिस्सा लेगी और चंद्रशेखर आजाद बीआरएस को आगे बढ़ाएंगे। सच क्या है यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।
चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Ravan) मौजूदा समय में दलित युवा नेता के रूप में उभरे हैं और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुछ इलाकों में उनकी अच्छी पकड़ भी मानी जाती है। वे मौजूदा समय में दलित युवाओं के आइकॉन बने हैं और उनकी सभाओं में बड़ी भीड़ भी जुटती है। हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही चंद्रशेखर की मुलाकात आरएलडी (RLD) नेता जयंत चौधरी (Jayant Chowdhary) के साथ भी हुई थी और कहा गया कि जयंत और चंद्रशेखर मिलकर यूपी की राजनीति में कमाल कर सकते हैं। लेकिन यह सब अभी शुरुआती दौर है और किसी के बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं है।
लेकिन एक बात साफ़ है कि चंद्रशेखर रावण बीजेपी के खिलाफ मोर्च में शामिल होने को बेताब हैं। वे अखिलेश (Akhilesh Yadav) और जयंत के साथ मिलकर क्या कुछ करते हैं यह तो अभी भविष्य का विषय है लेकिन जिस अंदाज में अचानक केसीआर की बेटी कविता के साथ उनकी मुलाकात हुई है यूपी की राजनीति में नए समीकरण बनने के आसार बढ़ गए हैं। रावण अगर कविता की पार्टी के बैनर के तले लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो खेल रोचक हो सकता है। कई सीटों पर लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।
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सबसे बड़ी बात है कि चंद्रशेखर और कविता की पार्टी अलग से चुनाव लड़ते हैं तो दलित वोटों का बटंवारा हो सकता है। बड़ा झटका तो मायावती (Mayawati) को लग सकता है इसके साथ ही बीजेपी के साथ कांग्रेस और सपा को भी बड़ा झटका लग सकता है। बीजेपी बड़े स्तर पर दलितों में पैठ बना चुकी है और इसका लाभ भी उसे चुनाव में मिलते रहे हैं लेकिन अगर अब चंद्रशेखर अलग राजनीति करते हैं तो बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है। उधर कांग्रेस (Congress) का खेल भी बिगड़ सकता है। यह बात और है कि यूपी की राजनीति में अभी कांग्रेस मजबूत नहीं है लेकिन जिस तरह से वह नए सिरे से अपने परंपरागत वोट ब्राह्मण, दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोट को कैटेर करती दिख रही है उसमें भी उसे झटका लग सकता है।
केसीआर अभी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं है। लेकिन वह बीजेपी के खिलाफ जायेंगे यह पक्का है। ऐसे में यूपी में चंद्रशेखर के साथ बीआरएस मैदान में उतरती है तो एक नया खेल शुरू होगा। इसमें बीआरएस (BRS) की उत्तर भारत में एंट्री की शुरुआत भी हो जाएगी और चंद्रशेखर को भी एक जमीन मिल सकती है। बीजेपी समेत बसपा और कांग्रेस की भी इस मुलाकात पर नजर है।