Parliament Winter Session 2023: संसद की सुरक्षा में चूक मामले में विपक्ष को गृह मंत्री अमित शाह का बयान चाहिए और संसद को यह मांग पसंद नहीं है। इस मांग और ना पसंद की लड़ाई में संसद में हंगामा चलता है और विपक्ष लगातार निलंबित होते जा रहे हैं। आजाद भारत का यह ऐसा सच है जो कभी देखा नहीं गया। भारतीय संसदीय इतिहास का यह काल हमेशा यादगार रहेगा, इतिहास में दर्ज होगा। आज भी संसद से 49 सांसदों को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
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विपक्ष लगातर गृहमंत्री के बयान को लेकर संसद के भीतर और बाहर हंगामा कर रहा है लेकिन सत्ता पक्ष को यह हंगामा मंजूर नहीं है। पहले प्रधानमंत्री से बयान देने की मांग की जा रही थी। वह मामला तो थम गया लेकिन विपक्ष गृहमंत्री शाह से बयान लेने के लिए अड़ा हुआ है। सरकार बयान देना नहीं चाहती और बदले में विपक्ष का निलंबन होता जा रहा है। संसद से इतने बड़े पैमाने पर सांसदों का निलंबन अब तक संसदीय इतिहास में नहीं देखा गया। लोग कह रहे हैं कि यह लोकतंत्र का अमृतकाल है जहां विपक्ष की मांग की कोई गुंजाइस नहीं है। अभी तक विपक्ष जितनी भी मांगे की है, वह पूरी नहीं की गई। मणिपुर हिंसा मामले पर विपक्ष हंगामा करता रहा और सरकार से संसद में बयान की मांग करता रहा लेकिन वह सब संभव नहीं हो सका।
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बता दें कि इसी मांग को लेकर संसद से 78 सांसदों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। उसमें लोकसभा के 33 और राज्य सभा के 45 सांसद शामिल थे। लोकसभा में आज 41 सांसदों को निलंबित किया गया है। इसके साथ ही आज ही राज्य सभा से आठ सांसदों को निलंबित किया गया है। आज सस्पेंड किए गए सासंदों की लिस्ट में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम, शशि थरूर, बीएसपी (निष्कासित) दानिश अली, एनसीपी की सुप्रिया सुले, सपा सांसद एसटी हसन, टीएमसी सांसद माला रॉय, सपा नेता डिंपल यादव और आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू का भी नाम शामिल है। अब सवाल है कि जब अधिकतर विपक्षी सांसद सस्पेंड कर दिए गए तब संसद कैसे चलेगी ? लेकिन सवाल यह भी है कि क्या सरकार संसद को चलाना भी चाहती है ? जानकार मान रहे हैं कि सच तो यही है कि सरकार खुद भी नहीं चाहती है संसद चले। लोकसभा चुनाव का वक्त है और ऐसे में प्रधानमंत्री खुद ही संसद में जो भी हो रहा है उससे दूर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी मजबूती को तलाश रहे हैं। वे वाराणसी की गलियों में घूम रहे हैं और वहां से लगातार विपक्ष पर हमले भी कर रहे हैं। ऐसे में यह कहना कि सरकार संसद चलाने को तैयार है।
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अमित शाह की कहानी ये हैं कि वे संसद से बाहर बहुत से बयान दे रहे हैं लेकिन संसद के भीतर कुछ कहने से बच रहे हैं। सरकार की तरफ से कुछ नेताओं को बीजेपी तैयार रखी है और वे नेता महौल को और भी खराब कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि संसद चले या ना चले सरकार को जो करना है वह करती रहेगी। अपने मन मुताबिक विधेयकों को पास कराएगी। यह सब पहले भी होता था और आज भी वही हो रहा है। सामने लोकसभा चुनाव है। बीजेपी पूरी तैयारी के साथ लोकसभा की तैयारी कर रही है। इधर विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी बैठक हो रही है। ऐसे में न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष को संसद से कोई मतलब रह गया है। देखना ये है कि इस तरह के माहौल का संसदीय प्रक्रिया पर क्या असर पड़ता है।