दिल्ली में फिर किसान भरेंगे ‘हुंकार’, सड़कों पर आर-पार!
Delhi Farmer Protest: दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर से किसान हल्लाबोल कर रहे हैं। एक बार फिर से किसान हुंकार भरने की तैयारी में है, दिल्ली और हरियाणा बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। सड़कों पर कीलें लगा दी गई हैं। अब सवाल ये कि आखिर किसे रोकने के लिए बना चक्रव्यूह,क्यों अभेद्य किले में तब्दील हुए बॉर्डर।
दरअसल कील कांटों की पूरी घेराबंदी किसानों को रोकने के लिए है। जमीन से लेकर आसमान तक पुलिस की पहरेदारी किसान आंदोलन को लेकर है। जी हां, किसानों ने एक बार फिर से सड़क पर उतरने का ऐलान किया है। 13 फरवरी को किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। और दिल्ली में 2020-21 जैसी तस्वीर फिर ना देखने को मिले इसलिए पुलिस कोई कोताही नहीं बरत रही। किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच दिल्ली से हरियाणा तक पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है।
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किसानों के मार्च को लेकर हरियाणा के अंबाला में पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी। सीमाओं को सील कर दिया गया है।BSF जवानों को तैनात कर सुरक्षा का फुलप्रूफ प्लान बनाया गया है। किसानों के दिल्ली चलो प्रदर्शन को लेकर झज्जर में भी पुलिस बल अलर्ट पर है। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस के जवानों ने जमकर अभ्यास किया।पुलिस के जवान एक एक गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। दिल्ली की सभी सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा बरती जा रही है। निगरानी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने खुद टिकरी बॉर्डर पहुंचे।
किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर सिंघु बॉर्डर पर भी पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है। सिंघु बॉर्डर पर 16 कंपनियां तैनात होंगी और पुलिस के साथ अर्धसैनिक बल के जवान मौजूद रहेंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर भी पुलिस ने बैरिकेडिंग की गई है। हर हलचल पर निगरानी के लिए सीसीटीवी लगवाए जा रहे हैं वहीं लाउड स्पीकर का भी इंतजाम किया गया है। सरकार को घेरने के लिए किसानों ने बड़ी तैयारी की है तो सुरक्षा के लिए पुलिस ने भी कड़े बंदोबस्त किए हुए हैं। दिल्ली का बॉर्डर कोई भी हो.. लेकिन हर जगह नाकेबंदी एक जैसी।
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इस बार किसान पूरी तैयारी के साथ आंदोलन करने के मूड में हैं। इसके लिए उन्होंने मोडिफाइड ट्रैक्टर तैयार किए हैं। इन ट्रैक्टरों में राशन को स्टोर करने के साथ ही उनके रहने का इंतजाम भी है। भारी तादाद में किसानों के दिल्ली में दाखिल होने की उम्मीद है। अब जानते है कि किसान आखिर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं। किसानों की मांगे क्या हैं। पंजाब-हरियाणा के किसानों ने सरकार से मांग रही है कि उन्हें एमएसपी की गारंटी दी जाए। किसानों को पेंशन की सुविधा हो और फसल बीमा दिया जाए। किसान और मजदूरों की ऋण माफी की मांग भी हो रही है। सबसे प्रमुख मांग ये है कि 2020 में हुए किसान प्रदर्शन के दौरान जिन लोगों पर केस दर्ज किए गए थे, उन्हें रद्द कर दिया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा पंजाब-हरियाणा में होने वाले प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है। इन दोनों संगठनों के साथ 200 से अधिक किसान संघ शामिल हैं। किसानों आंदोलन में सियासी दल भी कूदते दिखाई दे रहे हैं। चुनाव में किसानों को साधने के लिए कांग्रेस ने आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है।
किसानों के समर्थन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। बॉर्डर पर कीलें बिछाने पर प्रियंका ने सरकार को घेरा और इसे लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो भी शेयर किया। प्रियंका गांधी ने लिखा कि किसानों के रास्ते में कील-कांटे बिछाना अमृतकाल है या अन्यायकाल? इसी असंवेदनशील और किसान विरोधी रवैये ने 750 किसानों की जान ली थी। किसानों के खिलाफ काम करना, फिर उनको आवाज भी न उठाने देना, कैसी सरकार के लक्षण हैं?