पटना। बृहस्पतिवार को कानून के हथौड़े का डर से अदालत में पेश होने से पहले ही बिहार के मंत्री कार्तिकेय सिंह को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस दागी मंत्री को कानून से बचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो दिन पूर्व कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्री का पद छीनकर उन्हें गन्ना मंत्री बनाया गया था।
माना जा रहा है कि कानून मंत्री के पद स हटाकर कम महत्व के गन्ना मंत्री का पद दिये जाने से कार्तिकेय सिंह खुश नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपा मंत्रालय बदले जाने के विरोध स्वरुप बुधवार शाम को ही इस्तीफा दे दिया था, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार करके राज्यपाल फागू चौहान के अपनी अनुशंसा प्रेषित कर दी है।
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नीतीश सरकार में कार्तिकेय सिंह को जिस दिन कानून मंत्री बनाया गया था, उसी दिन अपहरण के एक मामले में उन्हें दानापुर की कोर्ट में पेश होना था। इस मामले कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तार करके अदालत में हाजिर करने संबंधी वारंट भी जारी किया गया था, लेकिन कार्तिकेय सिंह ने अदालत में हाजिर न होकर मंत्री पद की शपथ ली। अदालत से एक वारंटी दागी विधायक को कानून मंत्री बनाये जाने पर भाजपा ने ये मामला उछाला था और मीडिया में भी इस प्रकरण की सुर्खियां बनी थीं।
बता दें कि कार्तिकेय सिंह 2014 में अपहरण के एक मामले में वांछित हैं। इस मामले में उनके कानून मंत्री बनाये जाने पर अदालत ने एक आदेश देकर उनकी 31 अगस्त तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इस मामले में अब कार्तिकेय सिंह को एक सितम्बर को दानापुर अदालत में पेश होना है तो इससे पहले ही उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। यदि बृहस्पतिवार को अदालत ने उन्हें जमातन नही मिलती है, तो फिर कार्तिकेय का न्यायिक हिरासत में जेल जाना तय ही है।