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आखिरकार गांधी परिवार ने संघ के सामने घुटने टेक दिए. कांग्रेसियों अब कभी ये मत कहना कि आजादी की लड़ाई में सिर्फ कांग्रेसियों का योगदान है।

Eventually the Gandhi family bowed before the Sangh. Congressmen, now don't ever say that only Congressmen have contributed in the freedom struggle.

आखिरकार गांधी परिवार ने संघ के सामने घुटने टेक दिए.राहुल गांधी ने संघ की विचारधारा के सामने, अटल जी जैसे संघ के एक महान प्रचार के सामने सरेंडर कर दिया. यही हिंदुत्व की ताकत का सबसे बड़ा नमूना है.26 दिसंबर को नेहरू के पड़पोते, इंदिरा के पोते और राजीव-सोनिया के बेटे राहुल गांधी ने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि‘सदैव अटल’ पर जाकर मत्था टेका. राहुल गांधी अत्यंत विनम्र होने का दिखावा करना जानते हैं, गांधी परिवार के इस अहंकारी पुत्र के अहंकार की कथाएं अनेक हैं लेकिन अब हृदयपरिवर्तन का ढोंग किया जा रहा है. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने बताया था कि, उन्होंने कांग्रेस इसलिए छोड़ी क्योंकि राहुल गांधी के आवास पर इंसान और कुत्ते एक ही प्लेट के बिस्किट खाते थे.

राहुल गांधी के कुत्ते (पीडी) वाले बिस्किट गांधी परिवार के अहंकार की पराकाष्ठा का प्रमाण है. लेकिन गांधी परिवार की अहंकार की ये पराकाष्ठा जवाहर लाल नेहरू से शुरू होती है. सरदार पटेल से विचारधारा की दुश्मनी को निजी दुश्मनी मानकर नेहरू ने ये सुनिश्चित किया था कि कोई भी नेता और सरकारी अधिकारी पटेल की अंत्येष्टि में ना जाए. नेहरू के दूसरे अहंकार को आर एन पी सिंह की किताब‘नेहरू ट्रबल्ड लीगेसी’ में देखा जा सकता है. इस किताब के मुताबिक जब पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दिल्ली में बीमार थे, तो उनके मातहतों से नेहरू ने ये कहलवाया कि, जल्द से जल्द इसको बिहार ले जाओ नहीं तो राजघाट के बगल में इसकी भी समाधि बन जाएगी.नेहरू के अहंकार की छाप देखने को मिली उनकी बेटी इंदिरा गांधी में, नेहरू की मौत जब हुई और लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो इंदिरा ने ये कहकर बंगला खाली नहीं किया कि, शास्त्री जी का कद नेहरू जी से बहुत छोटा है और उनके मिलने वालों की संख्या बहुत कम है. इसलिए उनको नेहरू के बड़े आवास की जरूरत ही नहीं है.

23 दिसंबर 2004 को प्रधानमंत्री रहे पी वी नरसिंहा राव की जब मृत्यु हुई तो उनका शव कांग्रेस दफ्तर के बाहर आधे घंटे पड़ा रहा. क्यों कि अब इंदिरा की बहू और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने राव के शव को कांग्रेस दफ्तर में लाने से मना कर दिया था, जब प्रवेश नहीं मिला तो उस वक्त गांधी परिवार के करीबी रहे गुलाम नबी आजाद ने उनके बेटे को समझाया कि हैदराबाद लेकर जाओ यहां एंट्री नहीं मिलेगी.

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प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं 2019 के लोकसभा के विदाई भाषण में कहा था कि, जहां भारत के प्रधानमंत्री लोकसभा के अंदर बैठते हैं वहां सिर्फ गांधी परिवार के ही प्रधानमंत्रियों का नाम क्यों लिखा है? इतना अहंकारी गांधी परिवार का बेटा राहुल गांधी जो कभी देश को अपनी जागीर समझता था, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास किए हुए कानून को भरे मंच से फाड़ दिया करता था, आज अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर पुष्प अर्पित कर रहा है. ये आज संघ की विजय है. इसलिए कांग्रेसियों अब कभी ये मत कहना कि आजादी की लड़ाई में सिर्फ कांग्रेसियों का योगदान है. अटल जी के चरणों में गिरे राहुल गांधी को याद करके अब संघियों को ताना मारने से पहले अटल की समाधि पर खड़े राहुल की तस्वीरें जरूर याद कर लेना।

उत्पल देव कौशिक

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