FSSAI On Pesticides Uses In Spices: FSSAI ने भारत में उपयोग होने वाले मसालों में कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल वाली रिपोर्ट का किया खंडन
FSSAI On Pesticides Uses In Spices: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानव प्राधिकरण एफएसएसएआई ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को झूठा बताया है जिनमें यह कहा गया था कि उसने जड़ी बूटियां मसाले में उच्च कीटनाशक अवशेषों की अनुमति प्रदान कर दी है।
एफएसएसएआई (FSSAI) ने इस रिपोर्ट को झूठी और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। एफएसएसएआई (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा नियामक द्वारा जारी किए गए एक प्रेस नोट में यह भी कहा है कि, भारत में दुनिया के मुकाबले अधिकतम अवशेष सीमा एमआरएल (MRL) के सबसे कड़े मानकों या नियमों का पालन किया जाता है। एफएसएसएआई (FSSAI) ने यह भी कहां है कि जोखिम आकलन के आधार पर अलग-अलग खाद्य वस्तुओं के लिए कीटनाशकों में एमआरएल (MRL) की मात्रा अलग-अलग तय की जाती है।
एफएसएसएआई का कहना है कि, “भारत में कीटनाशकों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers’ Welfare) द्वारा कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत गठित केंद्रित कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (Central Insecticide Board and Registration Committee) के माध्यम से विनियमित किया गया है।
Central Insecticide Board and Registration Committee (CIB and RC) कीटनाशकों के मशीनों, औजारों और श्रम का उपयोग करके कीटनाशक बनाने की क्रिया अथवा विनिर्माण, आयात, परिवहन, भंडारण को नियंत्रित करते हुए और तदनुसार कीटनाशकों को पंजीकृत और प्रतिबंधित किया जाता है।
एफएसएसएआई (FSSAI)का कीटनाशक अवशेषों पर एक वैज्ञानिक पैनल Central Insecticide Board and Registration Committee के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों की जांच करता है, और भारतीय आबादी का आहार उपयोग और सभी आयु समूह के संबंध से स्वास्थ्य संबंधित चिताओं पर विचार करते हुए खतरे का मूल्यांकन करने के बाद एमआरएल (MRL) की सिफारिश करता है।
भारत में Central Insecticide Board and Registration Committee द्वारा पंजीकृत कुल कीटनाशकों की संख्या 295 से ज्यादा बताई गई है। जिसमें से 139 कीटनाशक मसालों के लिए इस्तेमाल किए जाते है। कोडेक्स ने जिनमें से लगभग 243 कीटनाशकों को अपनाया है। जिनमें से 75 कीटनाशक मसालों के लिए निर्धारित है।
एफएसएसएआई (FSSAI)का कहना है कि, “एमआरएल (MRL) प्रकृति में गतिशील हैं और वैज्ञानिक डेटा के आधार पर नियमित रूप से संशोधित होते हैं। यह अभ्यास वैक्ष्विक मानकों के साथ जुड़ा हुआ है और यह सुनिश्र्चित करता है कि एमआरएल (MRL) संशोधन वैज्ञानिक रूप से वैध आधार पर किए जाते हैं। जो नवीनतम निष्कर्षों और अंतरराष्ट्रीय मानदंड़ों को दर्शाते हैं।”