Girls expressed feeling of insecurity: नैनीताल में बेटियों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के तहत स्कूली छात्राओं ने शहर के 24 स्थानों पर खुद को असुरक्षित महसूस करने की बात कही है। इस खुलासे के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने मौके पर जाकर इन स्थानों का निरीक्षण किया। अपर निदेशक ऋचा सिंह के नेतृत्व में संयुक्त टीम ने छात्राओं द्वारा चिन्हित असुरक्षित स्थानों की समीक्षा की और तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया।
असुरक्षित स्थानों की सूची
कार्यशाला में छात्राओं ने जिन 24 स्थानों को असुरक्षित बताया, उनमें बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड, ठंडी सड़क, स्नोव्यू, चिड़ियाघर मार्ग, हरिनगर, मल्लीताल मस्जिद के पास, आलूखेत का फायरिंग एरिया, जीजीआईसी स्कूल का गेट, बूचड़खाना, मुसाफिरखाना, दुर्गापुर, तप्पड़, मॉल रोड पार्क और जेल कैंपस जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं। इन स्थानों पर छात्राओं ने मनचलों द्वारा छेड़छाड़ और अन्य आपराधिक गतिविधियों का सामना करने की शिकायत की है।
बस और टैक्सी में असुरक्षा
छात्राओं ने विशेष रूप से नैनीताल से हल्द्वानी रूट की बसों में असुरक्षा का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बसों में शराब पीकर चढ़ने वाले यात्रियों की वजह से छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं। ड्राइवर और कंडक्टर भी नशे में रहते हैं, जिससे स्थिति और भी भयावह हो जाती है। यही समस्या टैक्सियों में भी देखी गई, जहां महिलाओं को अक्सर छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी वंदना सिंह के निर्देशानुसार, स्कूली छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। नैनीताल में इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य असुरक्षित स्थानों को चिन्हित करना और उन पर आवश्यक कदम उठाना था। महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने इन स्थानों का दौरा किया और निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
अपर निदेशक ऋचा सिंह ने बताया कि छात्राओं द्वारा चिन्हित असुरक्षित स्थानों को गंभीरता से लिया गया है और उनकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा रही है। निरीक्षण के दौरान टीम को कई स्थानों पर शराब और नशीले पदार्थों के साथ अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी मिली।
छात्राओं की मांगें
कार्यशाला के दौरान छात्राओं ने अपनी सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं। उन्होंने रोडवेज बस स्टैंड पर नियमित निरीक्षण, सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, चिन्हित स्थानों पर पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने, गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाने और रिक्शा स्टैंडों पर गश्त लगाने की मांग की है। छात्राओं का कहना है कि इन कदमों से सुरक्षा की स्थिति में सुधार हो सकता है।
आगे की योजना
महिला एवं बाल विकास विभाग के निरीक्षण के बाद अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन असुरक्षित स्थानों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की है। जिलाधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही उचित कदम उठाए जाने की उम्मीद है। पुलिस प्रशासन और स्थानीय निकायों को इन स्थानों पर निगरानी बढ़ाने और सुरक्षा इंतजामों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
यह घटना समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर प्रश्न खड़ा करती है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों के बावजूद बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। यह जरूरी है कि प्रशासन और समाज मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं ताकि बेटियां बेखौफ होकर अपने सपनों को साकार कर सकें।