Sambhal Police Post Controversy: संभल जामा मस्जिद के सामने बन रही पुलिस चौकी पर लिखा गया गीता का श्लोक, बढ़ा विवाद
उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सामने बन रही एक पुलिस चौकी की दीवार पर भगवद गीता का श्लोक लिखे जाने से विवाद खड़ा हो गया है। कुछ समुदायों ने इसे धार्मिक निष्पक्षता के खिलाफ बताया है और आपत्ति जताई है। प्रशासन ने इसे नैतिक प्रेरणा बताते हुए विवाद की जांच की बात कही है।
Sambhal Police Post Controversy: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब शहर की जामा मस्जिद के ठीक सामने निर्माणाधीन एक पुलिस चौकी की दीवार पर भगवद्गीता का प्रसिद्ध श्लोक – “जब-जब धर्म की हानि होती है…” – लिखा गया। इस घटनाक्रम ने धार्मिक संतुलन और सरकारी संस्थानों की निष्पक्षता को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर दी हैं।
गीता श्लोक से शुरू हुआ विवाद
स्थानीय लोगों ने जब देखा कि पुलिस चौकी की दीवार पर गीता का श्लोक अंकित किया गया है, तो इस पर कुछ समुदायों ने आपत्ति जताई। श्लोक है:”यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्…”
इसका अर्थ है: “जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ।”
यह श्लोक भले ही धार्मिक ग्रंथ से लिया गया हो, लेकिन इसे एक धर्मविशेष से जोड़कर देखा जाने लगा, खासकर तब जब वह धार्मिक स्थल के सामने लिखा गया हो।
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समुदायों में उभरी चिंता
संभल की जामा मस्जिद, शहर के सबसे पुराने और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। मस्जिद के ठीक सामने पुलिस चौकी पर हिन्दू धार्मिक ग्रंथ का श्लोक लिखे जाने को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने जिला प्रशासन से आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सार्वजनिक और सरकारी भवनों पर किसी एक धर्म के चिन्ह या श्लोक को प्रमुखता देना धर्मनिरपेक्षता की भावना के विपरीत है।
प्रशासन की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद जिला प्रशासन ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि चौकी का उद्देश्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है और वहां लिखे गए श्लोक का उद्देश्य केवल नैतिकता और कर्तव्य का संदेश देना है, किसी विशेष धर्म का प्रचार नहीं। एसपी ने मीडिया को बताया, “यह श्लोक कानून व्यवस्था के पालन के लिए प्रेरणा स्वरूप लगाया गया है। अगर इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो हम इस पर विचार करेंगे।”
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राजनीति ने पकड़ा मुद्दा
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह प्रदेश में धार्मिक ध्रुवीकरण की एक और कोशिश है। कुछ नेताओं ने कहा कि सरकारी इमारतें सभी धर्मों के लिए समान होनी चाहिए और वहां किसी भी प्रकार की धार्मिक सामग्री या प्रतीक चिन्हों से बचना चाहिए।
स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
जहां कुछ लोगों ने गीता के श्लोक को प्रेरणास्रोत बताते हुए इसका समर्थन किया, वहीं अन्य लोगों ने धार्मिक स्थलों के समीप इस तरह के संदेश को असंवेदनशील बताया। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है, जहां लोग धर्मनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन पर सवाल उठा रहे हैं।
संभल की इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सार्वजनिक संस्थानों की धार्मिक निरपेक्षता को किस तरह से परिभाषित किया जाए। प्रशासन को अब सावधानीपूर्वक आगे के कदम उठाने होंगे ताकि समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे और किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।
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