सरकारी प्राथमिक स्कूलः प्रदेश के सीएम तक का नाम नहीं जानते चौथी-पांचवीं के विद्यार्थी
अध्यापक अक्सर लेट आते हैं। कोई कारण पूछता है तो सीधी सा बहाना होता है कि घर में परिजन बीमार हैं। उन्हें दवाई दिलाकर आये हैं। इसी बहाने से शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं । वे कई-कई दिन गायब रहते हैं,। जिस दिन आते हैं, उस दिन उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर कर सब दिनों की उपस्थिति दर्ज कर देते हैं।
हरदोई। जिले के ब्लॉक हरियावा के गांव पुरवा हफीजुद्दीनपुर के प्राथमिक विद्यालय में तीसरी में पढ़ने वाले बच्चे प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं जानते। इसे सरकारी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर माना जा रहा है।
इतनी ही नहीं इन बच्चों को पाठक्रम क्या होता है, वे ये भी नहीं जानते। बताया गया है कि स्कूल में 4 अध्यापक हैं, इनमें अधिकांश तीन अनुपस्थित रहते है, केवल एक सहायक अध्यापक के सहारे स्कूल चल रहा है। एक शिक्षकआखिर क्या-क्या करे।
यहां अध्यापक अक्सर लेट आते हैं। कोई कारण पूछता है तो सीधी सा बहाना होता है कि घर में परिजन बीमार हैं। उन्हें दवाई दिलाकर आये हैं। इसी बहाने से शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं । वे कई-कई दिन गायब रहते हैं,। जिस दिन आते हैं, उस दिन उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर कर सब दिनों की उपस्थिति दर्ज कर देते हैं। अधिकांश शिक्षक बच्चों का भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है।
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पत्रकारों ने स्कूल जाकर चौथी, पांचवीं में पढ़ने वाले बच्चों से बातचीत की। बच्चों को हिंदी की वर्णमाला तक याद नहीं थी। शिक्षक यहां के बच्चों को सही शिक्षा देने को लेकर गंभीर नहीं हैं। स्कूलों में पढ़ाई भले ही नहीं हो रही हो, लेकिन दोपहर का खाना मिलने से बच्चे व उनके अभिभावक भी खुश रहते हैं।
अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षको की कोशिश यही होती है कि कि स्कूल में बच्चे आते रहें। ताकि मिड डे मील योजना में बच्चों की संख्या बढ़ा दिखा दें, ताकि सरकारी धन का गोलमाल किया जाए। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी सब जानते हैं, लेकिन वे कड़ी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करते।