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किसानों को सरकार का बड़ा ऑफर, अब होगा 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट, आधी रात तक चली किसानों से बातचीत !

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Farmer Protest Delhi Update: केंद्र सरकार और किसानों (Central government and farmers) के बीच 3 दौर बातचीत बेनतीजा होने के बाद चौथे दौर की वार्ता में नया प्रस्ताव सामने आया है। केंद्र सरकार ने किसानों से कहा कि वह MSP पर 5 साल तक खरीद के लिए कॉन्ट्रैक्ट कर सकती है। इस पर किसानों ने आपसी विचार के लिए वक्त मांगा है।
किसान संघों (Kisan Unions) के बीच चौथे दौर की बातचीत में केंद्र सरकार (Central Government) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालें और कपास खरीदने के लिए 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट का प्रस्ताव रखा। बातचीत 18 फरवरी यानि रविवार रात 8.30 बजे शुरू हुई और करीब 4 घंटे चली । 8 फरवरी, 12 फरवरी और 15 फरवरी (15February) को केंद्र और किसानों (farmers) के बीच 3 दौर की बातचीत हो चुकी थी। हालांकि, उन वार्ताओं में कोई दिशा तय नहीं हो पाई थी। चौथे दौर की बातचीत में केंद्र सरकार की ओर से कॉन्ट्रैक्ट प्रपोजल पर किसान संगठनों ने आपसी विचार-विमर्श करने के लिए थोडा वक्त मांगा है।



गोयल बोले- कुछ हद तक सहमति बनी

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) जानकारी देते हुए बताया कि बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और वे कुछ हद तक आम सहमति पर पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘नए विचारों और विचारों के साथ, हमने भारतीय किसान मजदूर संघ (Bharatiya Kisan Mazdoor Sangh) और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की।’ किसान संघ के प्रतिनिधियों ने कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं जिससे पंजाब (Punjab), हरियाणा (hariyana) के किसानों के साथ-साथ देश के किसानों, अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा। वहीं, किसानों ने मंत्रियों से कहा कि वे सोमवार (Monday) सुबह 10 बजे चर्चा के बाद वापस आ जाएंगे।

किसानों के सामने रखा गया 5 वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट का प्रस्ताव

गोयल ने मीडिया से आगे बताया, ‘हमने मिलकर एक बहुत ही इनोवेटिव, आउट-ऑफ-द-बॉक्स आइडियाज (Innovative, out-of-the-box ideas) दिए हैं। सरकार ने प्रस्ताव रखा कि NCCF (National Cooperative Consumers Federation of India) और नैशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India) (NAFED ) जैसी सहकारी समितियां अगले 5 साल के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट करेंगी और किसानों से MSP पर कृषि उत्पाद खरीदेंगी। खरीद की मात्रा पर कोई सीमा नहीं होगी।’ उन्होंने कहा, ‘हमने प्रस्ताव दिया कि भारतीय कपास निगम MSP पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ 5 साल का समझौता करेगा।’ चल रहे विरोध के संबंध में किसान नेताओं के साथ विचार-विमर्श शुरू करने से पहले केंद्रीय मंत्रियों ने चंडीगढ़ के सेक्टर 17 स्थित एक होटल में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ अनौपचारिक बैठक की।



किसानों के साथ बातचीत में यें नेता थे शामिल

इस बार की बातचीत में केंद्र सरकार की ओर से कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल थे। वहीं, किसानों की तरफ से किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंढेर (Sarwan Singh Pandher, convener of Kisan Mazdoor Morcha) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Leader Jagjit Singh Dallewal) शामिल थे। वहीं, Punjab के CM भगवंत मान भी बातचीत में शामिल थे.

बीजेपी नेताओं के घेराव का आह्वान

चौथे दौर की वार्ता से पहले, SKM ने घोषणा की कि वह मंगलवार से 3 दिनों के लिए पंजाब में BJP नेताओं के आवासों का घेराव करेगा। विभिन्न किसान संघों की एकछत्र संस्था SKM के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वे मंगलवार से गुरुवार तक सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों सहित पंजाब BJP नेताओं के आवासों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। लुधियाना में SKM नेताओं की एक बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजेवाल ने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया है कि वे राज्य के सभी टोल बैरियरों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और उन्हें 20 से 22 फरवरी तक सभी यात्रियों के लिए मुफ्त कर देंगे। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि SKM MSP के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित सी2+ 50% के फॉर्मूले से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगा, जिसमें किसान नेता बलकरण सिंह बराड़ और बूटा सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे।


आचार संहिता लागू होने से पहले किसानों की मांगे होगी स्वीकार


इससे पहले, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपना बयान देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को देरी नहीं करनी चाहिए और लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले किसानों की मांगों को मानना चाहिए। डल्लेवाल ने शंभू बॉर्डर पर रिर्पोट से कहा, ‘हम सरकार से कहना चाहते हैं कि उसे टालमटोल की नीति से बचना चाहिए।’ उन्होंने कहा, यदि सरकार सोचती है कि वह आदर्श आचार संहिता लागू होने तक बैठकें करती रहेगी और फिर कहती है कि वह कुछ नहीं कर सकती क्योंकि आचार संहिता लागू है तो किसान वापस नहीं होने वाले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार को हमारी मांगों का समाधान ढूंढना चाहिए।’ डल्लेवाल ने जोर देकर कहा कि किसानों का आंदोलन (farmer protest) किसी भी राजनीतिक दल की ओर से प्रायोजित नहीं है।


हरियाणा (Hariyana) के कुरुक्षेत्र में भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी और कुछ ‘खापों’ ने पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक पंचायत में हिस्सा लिया। बैठक के बाद चढ़ूनी ने संवाददाताओं से कहा कि आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने के लिए सभी किसान संगठनों को एकजुट करने का निर्णय लिया गया। तय वार्ता के चलते कई अन्य फैसले फिलहाल रोक दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत का नतीजा सामने आने के बाद फैसलों की घोषणा की जाएगी।

प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी

चाढ़ूनी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का हिस्सा है और delhi के किसानों से जुड़ने के लिए 4 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा हैरानी की बात तो यें है कि सरकार किसानों को अपने ट्रैक्टरों पर delhi जाने की अनुमति नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, ‘यह किसानों का वाहन है और उन्हें अपने ट्रैक्टरों पर आंदोलन के लिए खाने-पीने का सामान और राशन ले जाना होगा।’ वहीं, खाप नेता OP धनखड़ ने कहा कि आंदोलन के पीछे Haryana की ‘खापें’ हैं और केंद्र सरकार को MSP की कानूनी गारंटी (legal guarantee) देने में देरी नहीं करनी चाहिए। पंचायत में शामिल हुए एक अन्य ‘खाप’ नेता ने कहा कि यदि वार्ता विफल रही तो किसान दिल्ली जाएगे और विरोध-प्रदर्शन करेंगे।

Prachi Chaudhary

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