Gujrat Election Result: बीजेपी के चक्रव्यूह में क्यों फंस जाता है विपक्ष? गुजरात में मोदी की है ये खास रणनीति
1985 के बाद ये पहली बार है जब बीजेपी (Gujrat Election Result) ने चुनाव में इतने सीट हासिल किये हैं और माधव सिंह सोलंकी का रिकार्ड तोड़ा है। इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में अपना दम-खम दिखाने आया था।
नई दिल्ली: गुजरात में भाजपा के रिकार्ड तोड़ जीत (Gujrat Election Result) के बाद हर जगह-जगह मोदी नाम गूंज उठा है। गुजरात का एक झूंड इसे भाजपा की कम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत ज्यादा बता रहे हैं। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि गुजरात के एक वर्ग भाजपा (Gujrat Election Result) की किसी भी जीत को सिर्फ मोदी की ही जीत मानता है, भले ही मोदी प्रेस कान्फ्रेंस में किसी के सवाल का जवाब दे या ना दें। वो वहां के लोगों के सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर जाने जाते हैं।
भाजपा ने गुजरात में इस बार अपना ही रिकार्ड तोड़ते हुए जीत हासिल की है। इससे पहले माधव सिंह सोलंकी के वजह से 1985 में कांग्रेस को ऐसी जीत मिली थी। उस समय कांग्रेस की झोली में कुल 149 सीटें आई थीं।
बीजेपी ने अपने नाम की रिकार्ड तोड़ जीत
1985 के बाद ये पहली बार है जब बीजेपी (Gujrat Election Result) ने चुनाव में इतने सीट हासिल किये हैं और माधव सिंह सोलंकी का रिकार्ड तोड़ा है। इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में अपना दम-खम दिखाने आया था। आप को लेकर कांग्रेस का माननी है कि वो बीजेपी को टक्कर देने नही बल्कि कांग्रेस के वोटो कम करने के लिए गुजरात में चुनाव लड़ रही थी।
भाजपा भले ही गुजरात में 1995 से लगातार चुनाव लड़ती आ रही है लेकिन फिर भी कांग्रेस आज भी वहां के वोटों के 40% पर अपना ठिकाना जमाई रहती थी। गुजरात के इस बार के चुनाव में वोट तीन हिस्सों में बंट गए थें जिसमे कांग्रेस के हिस्से 27.3% आया और आम आदमी पार्टी के हिस्से 12.9% आया। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि आम आदमी पार्टी के आने से कांग्रेस के वोटों में सेंध लग गई और बीजेपी को इतने भारी बहुमत के साथ रिकार्ड तोड़ जीत मिल गई।
2017 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 49.1% के साथ 99 सीटों पर जीत हासिल की थी और वहीं इस बार भाजपा को 53% के साथ 157 पर रिकार्ड तोड़ जीत मिली है जो तीन प्रतिशत तक का इजाफा है।
तीन फीसदी वोट बैंक का क्या है खेल?
कांग्रेस को पिछले बार के विधानसभा चुनाव में 41.1% हिस्से के साथ 77 सीटें मिली थीं और इस बार इन्हें 27% सीट पाने के लिए भी जद्दोज़हत करनी पड़ी थी। अगर इस बार के कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के टोटल वोटों को देखा जाए तो दोनो मिलाकर कांग्रेस के पिछले साल के हिस्से के बराबर आएगा। सूरत के एक प्रोफेसर का मानना है कि आम आदमी पार्टी ने गुजरात चुनाव में बीजेपी के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस के वोटो में सेंध लगा बैठा। उन्होने आगे कहा कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस का उस तरीके का प्रदर्शन नही दिखा जिस तरह का आम आदमी पार्टी का था।
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आप पार्टी ने कांग्रेस की नीव तो हिला डाली लेकिन वो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कुछ भी नही बिगाड़ पाए। मोदी गुजरात के निचले और मध्यमवर्गीय लोगो के साथ ज़मीनी रुप से जुड़े हैं और किसी भी पार्टी के लिए लोगो का ये विश्वास तोड़ना मुश्किल है।
हिन्दुत्व का फायदा
सूरत के प्रोफेसर का कहना है कि गुजरात के लोगो को किसी बात से फर्क नही पड़ता है। चाहें वो बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई हो या फिर जल्द में हुए मोरबी पुल का हादसे में बीजेपी की बड़ी नाकामयाबी हो। इस विधानसभा चुनाव में ही बीजेपी ने 2002 में हुए गुजरात दंगे के आरोपी की बेटी को टिकट दिया और उसने भारी मतों के साथ जीत प्राप्त की। इस बात से यही पता चलता है कि लोग सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर ही वोट देते, ना कि बीजेपी पार्टी के नाम पर देते हैं।
जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर घनश्याम शाह भी इस बारे में अपनी राय रखते हुए कहते है कि 2002 में गुजरात में जो दंगे हुए थे और उस समय हिन्दुत्व की जो हवा चली थी, वो आज भी बरकरार है और उसे ज़्यादा देखते हैं। उनका कहना है कि गुजरात का चुनाव बराबर का चुनाव नही था क्योकि मोदी और बीजेपी के पास सबकुछ है जिससे वो लोगों का वोटबैंक अपने नाम कर सकें लेकिन कांग्रेस या किसी और पार्टी के पास ना पैसा, न मशीनरी है, ना संगठन है और ना ही नेता है जिसके भरोसे वो जीत हासिल कर सकें।