वाराणसी। जिला जज की अदालत में मंगवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पोषीयता (7/11) को लेकर चल रही सुनवाई से पहले ही एक नया मोड़ तब आया, जब मुस्लिम पक्ष के नये अधिवक्ता योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू ने अपना नाम वापस ले लिया है। वे मुस्लिम पक्ष के ओर से मुकदमा नहीं लडेंगे।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मंगलवार को जिला जज वाराणसी ए.के. विश्वेश की अदालत में आपत्ति बहस हुई, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता शमीम अहमद ने फिर ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ की संपत्ति होने की बात दोहरायी, इसके बाद हिन्दू यानी मंदिर पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपने तर्क रखे।
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बता दें कि इस मामले में सबसे पहले मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव सहित अन्य वकीलों ने अंजुमन इंतजामया कमेटी का पक्ष रखा था, इसके बाद हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन के नेतृत्व सभी वकीलों ने अपना पक्ष रखा। अब मुस्लिम पक्ष आपत्ति पर अपनी जिरह कर रहा है।
वरिष्ठ वकील अभय नाथ यादव के पिछले दिनों आकस्मिक निधन के चलते इस मामले में दो नए वकील शमीम अहमद और योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू अदालत में मुस्लिम पक्ष को रख रहे थे, लेकिन अब तीन दिन की हुई सुनवाई के बाद ही योगेन्द्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू ने अपना नाम वापस ले लिया है।
इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता शमीम अहमद रईस अंसारी और इखलाक अहमद अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की पक्ष रख रहे हैं।