वाराणसी: जिला एवं सत्र न्यायालय के जज डॉ एके विश्वेश की अदालत में बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी-मस्जिद मामले में करीब दो घंटे से अधिक तक सुनवाई हुई, जिसमें हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की। कल फिर से सवा दो बजे होने वाली सुनवाई में हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता अपनी दलीलें जारी रखेंगे।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कि जोरदार दलील पेश करते करते हुए कहा कि यदि एक बार किसी स्थान पर हिन्दू देवी देवता की प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है तो वह स्थान अनादिकाल तक मंदिर ही रहेगा, भले ही उसका स्वरुप भले ही बदल दिया जाए। उन्होने कहा कि यदि कई सौ साल पहले किसी दूसरे धर्म के आक्रांता ने मंदिर पर कब्जा कर लिया था तो उसका अर्थ यह नहीं कि वह मंदिर नहीं रहा। किसी के जबरन कब्जे से मंदिर में आस्था के गुण-धर्म नहीं बदलते।
और भी पढ़िए- कांवड़ की तैयारियों का जायजा लेने मेरठ पहुंचे अपर मुख्य सचिव और डीजीपी,कांवड मार्ग का किया निरीक्षण
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत में विष्णु पुराण, शिव पुराण में वर्णित कई संर्दभों के प्रस्तुत किया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के दिये गये कई फैसलों का जिक्र करते विशेष तौर पर 1936 में दीन मुहम्मद के केस के हवाले से बताया कि इस मामले में गवाहो में सुप्रीम कोर्ट में अपने बयानों में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी को मंदिर बताते हुए वहां पूजा-पाठ किये जाने की बात कही है।
इसके साथ ही हिन्दू पक्ष के वकीलों ने कहा कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मंदिर को वक्फ बोर्ड की जमीन-संपत्ति बताता रहा है, लेकिन आज तक मुस्लिम पक्ष न तो इस संबंध में वक्फ बोर्ड का कोई प्रमाण नहीं दे सका और न ही 1991 के अधिनियम के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत कर सका है। इस मामले में शुक्रवार को भी दोपहर बाद सवा दो बजे सुनवाई होगी।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभवतः वे शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे और इसके बाद अदालत मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं को बोलने का मौका दिये जाए। जैन का मानना है कि अदालत दोनों पक्षों को दलीलें सुनने के पश्चात वाद की पोषीयता पर अपना फैसला सुरक्षित रख सकता और फैसला सुनाने के लिए कोई अगली तारीख तय कर सकता है।