नई दिल्ली: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case Varanasi) के वजूखाने की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टल गई है। अब कोर्ट में 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी। आपको बता दे कि, कार्बन डेटिंग का उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु पता लगाने में किया जाता है. इसकी खोज अमेरिकी वैज्ञानिक एडवर्ड लेबी ने 1949 में की थी।
मुस्लिम पक्षकारों ने भी कार्बन डेटिंग का विरोध किया
वहीं मुस्लिम पक्ष ने आकृति (Gyanvapi Case Varanasi) को फव्वारा बताया था, इसके बाद शृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में याचिका दायर करने वाली वादी महिलाओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की थी।
बता दें कि इसके लिए एक याचिका (Gyanvapi Case Varanasi) भी दाखिल की गई थी, हालांकि, मुख्य वादी राखी सिंह ने इसका विरोध किया था। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने भी कार्बन डेटिंग का विरोध किया था, जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने पिछली सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कार्बन डेंटिग का प्रयोग
कार्बन डेंटिग (Gyanvapi Case Varanasi) एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि विधि है. इसका प्रयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु पता लगाने में किया जाता है, दरअसल हमारे पर्यावरण में कार्बन के तीन आइसोटोप कार्बन-12 (कार्बन डाई ऑक्साइड), कार्बन-13 और कार्बन-14। किसी चीज की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन-14 की जरूरत होती है, बाकी के दोनों आइसोटोप वातावरण में आसानी से मिल जाते हैं।
इन महिलाओं ने ज्ञानवापी- श्रृंगार गौरी केस को ले गई कोर्ट तक
ज्ञानवापी मामले में मुकदमा (Gyanvapi Case Varanasi) दायर करने वाली 5 याचिकाकर्ताओं में से एक दिल्ली की रहने वाली हैं और बाकी चार महिलाएं वाराणसी की रहने वाली हैं। इन महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर ‘शृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी है। इन महिलाओं के नाम हैं-राखी सिंह, सीता साहू, लक्ष्मी देवी,मंजू और रेखा पाठक।