वाराणसी: सीनियर डिवीजन कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में बुधवार को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने अपनी दो पृष्ठ की श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे सौंपी थी। अजय कुमार मिश्रा की यह सर्वे रिपोर्ट 6 और 7 मई को हुए प्रथम सर्वे सें संबंधित है, जिसमें अदालत द्वारा कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किये गये थे।
सीनियर डिवीजन कोर्ट के आदेश पर ही दूसरा सर्वे तीन सदस्य गठित कोर्ट कमीशन द्वारा 14 मई से 16 मई तक किया गया था, उसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर पद से तत्काल हटा दिया गया। अदालत ने विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह और सहायक कोर्ट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह को सर्वे रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी दी थी। दूसरे सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को सौंपी जानी थी, लेकिन रिपोर्ट तैयार न होने से इसे निर्धारित तिथि में जमानत नहीं किया जा सका था। अदालत ने कोर्ट कमीशन की मांग पर सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए दो दिन का समय और दे दिया था।
कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा द्वारा अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश किये जाने के बावजूद यह सार्वजनिक हो गयी है। इस सर्वे रिपोर्ट में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां, शिलापट्ट पर नागफनी, देव विग्रह, स्वास्तिक के निशान, दीया जलने का स्थान मिलने, चार मूर्तियों पर सिंदूर लगे होने, पत्थरो पर हिन्दू देवी-देवताओं की आकृतियां होने, मस्जिद की उत्तरी-पश्चमी दीवार के पास पड़े मंदिर का मलबा पड़ा होने आदि का जिक्र किया गया है, जो वहां पूर्व में मंदिर होने के पक्के सबूत हैं। दूसरे सर्वे में शिवलिंग मिलने और वाराणसी अदालत के साथ- साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे संरक्षित करने के आदेश के बाद हिन्दू पक्ष का मस्जिद के स्थान पर होने के दावों को पूरा बल मिला है।
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तीन सदस्यीय कोर्ट कमीशन की सर्वे रिपोर्ट और एकल कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा की रिपोर्ट में कितनी समानता होगी, यह तो बाद में ही पता चल सकेगा, लेकिन फिलहाल अजय कुमार मिश्रा की सर्वे रिपोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के होश उड़ा दिये हैं, जबकि हिन्दू पक्ष अपने दावों को लेकर बहुत उत्साहित और आश्वत है।