Aamir Hamza Killing: हाफ़िज़ सईद का दूसरा करीबी भी ढेर, लाहौर में आमिर हमज़ा की बीच सड़क हत्या, अज्ञात हमलावरों की दहशत
लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेता और हाफ़िज़ सईद के करीबी आमिर हमज़ा की लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इससे पहले सैफ़ुल्लाह की रहस्यमयी मौत ने भी आतंकी नेटवर्क में हलचल मचा दी थी। इन घटनाओं ने पाकिस्तान में सक्रिय भारत-विरोधी तत्वों में दहशत फैला दी है।
Aamir Hamza Killing: भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे पाकिस्तान के कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेताओं पर एक-एक कर कहर टूट रहा है। पहले सैफ़ुल्लाह की रहस्यमयी मौत और अब हाफ़िज़ सईद के बेहद करीबी माने जाने वाले आमिर हमज़ा को भी अज्ञात हमलावरों ने लाहौर की एक सड़क पर गोलियों से भून दिया। हमज़ा की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने पाकिस्तान में कट्टरपंथी और आतंकवाद से जुड़े सर्कलों में हड़कंप मचा दिया है।
बीच सड़क गोलियों से छलनी किया गया आमिर हमज़ा
सूत्रों के अनुसार, आमिर हमज़ा अपनी गाड़ी में यात्रा कर रहा था जब लाहौर के एक भीड़भाड़ वाले इलाके में बाइक सवार अज्ञात हमलावरों ने उसे निशाना बनाया। हमलावरों ने बेहद सटीकता से फायरिंग की और कुछ ही सेकंड में हमज़ा की हत्या कर मौके से फरार हो गए। यह हमला न केवल आमजन को चौंकाने वाला है बल्कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
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लश्कर-ए-तैयबा में था ऊंचा ओहदा
आमिर हमज़ा लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सदस्य था और आतंकी संगठन के प्रचारक प्रमुख के रूप में काम कर चुका था। वह हाफिज सईद का नजदीकी साथी माना जाता था और भारत विरोधी भाषणों और साहित्य के लिए बदनाम था। भारत में कई आतंकी घटनाओं की साजिश में उसका नाम सामने आ चुका है, हालांकि पाकिस्तानी सत्ता और सुरक्षा तंत्र की छत्रछाया में वह वर्षों से बेखौफ घूम रहा था।
सैफ़ुल्लाह की मौत के बाद दूसरी बड़ी कार्रवाई
कुछ सप्ताह पहले ही हाफिज सईद के एक और करीबी सैफ़ुल्लाह की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई थी। तब भी हमलावरों की पहचान नहीं हो पाई थी। आमिर हमज़ा की हत्या ने इस सिलसिले को और मजबूत कर दिया है कि अब भारत विरोधी आतंकी एक-एक कर निशाने पर हैं। यह घटनाएं संकेत दे रही हैं कि या तो पाकिस्तान के भीतर ही कोई बड़ा सफाया अभियान चल रहा है या फिर कोई बाहरी एजेंसी इन दुश्मनों को चुपचाप खत्म कर रही है।
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क्या यह ऑपरेशन सिंदूर का असर है?
भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाएं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं, जिसके तहत भारत अपने दुश्मनों को उनकी जमीन पर ही सबक सिखा रहा है। हालांकि आधिकारिक रूप से भारत ने इन घटनाओं की कोई जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन आतंकी नेटवर्क में फैले डर और बिखराव से साफ है कि अब उन्हें हर मोर्चे पर चुनौती मिल रही है।
हाफ़िज़ सईद पर भी मंडरा रहा खतरा
इन हत्याओं के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि अगला निशाना कौन हो सकता है? हाफिज सईद जो पहले ही घर में नजरबंद है, अब और भी गहरे डर में जी रहा होगा। उसके करीबी सहयोगियों को इस तरह ठिकाने लगाया जाना, उस पूरे नेटवर्क को अस्थिर करने के लिए काफी है।
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अज्ञात हमलावरों की पहचान अब भी रहस्य
अब तक इन हमलों की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है, और पाकिस्तान सरकार भी इस पर चुप्पी साधे हुए है। यह रहस्यमयी हमले पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
इस सिलसिलेवार घटनाक्रम से इतना जरूर स्पष्ट हो गया है कि अब भारत के दुश्मनों पर एक नया और अनदेखा खतरा मंडरा रहा है — जिसे न वो देख पा रहे हैं और न ही समझ पा रहे हैं।
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