नई दिल्ली: गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस में हो रही लगातार उपेक्षा से आहत होकर आखिर बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे ही दिया।
उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने त्याग पत्र जिन बिन्दुओं को जिक्र किया है, उससे सोनिया के पार्टी हित में निर्णय लेने में असमक्ष होने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं का उचित सम्मान दिये जाने की बातें लिखना उन्हें आईना दिखाना ही माना जा रहा है। हार्दिक का यह कहना कि वह गुजरात में सच में सकारात्मक ऊर्जा के साथ काम कर सकेंगे।
इससे यही लगता है कि उन्हें गुजरात में कुछ महीनों बाद विधान सभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में युवा नेता हार्दिक पटेल को पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिये बड़ा झटका है। इससे पहले वरिष्ठ नेती सुनील जाखड़ कांग्रेस को गुडबाय कर चुके हैं। इससे यही लगता है कि कांग्रेस से नये नेताओं को जुड़ने की तो अभी कोई पहल नहीं हुई है, लेकिन वरिष्ठ और युवा कांग्रेसियों का ही अपनी पार्टी के नेताओं का मोह भंग हो चुका है।
और पढ़ें- वाराणसी कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटाया
हाल ही में राजस्थान के जयपुर में चले तीन दिवसीय चिंतिन शिविर में जिस तरह से क्षेत्रीय दलों से अलग रहकर अपने ही दम पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनायी थी। साथ ही पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट होने पर जोर दिया गया था, लेकिन लगता है कि ये सब व्यवहारिक रुप से क्रियान्वयन कराना अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के बूते की बात नहीं रह गयी है।