Haridwar Tunnel Project: हरिद्वार को जाम से मिलेगी राहत! मनसा देवी पर्वत के नीचे प्रस्तावित सुरंग पर बन रही योजना
हरिद्वार में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए मनसा देवी पर्वत के नीचे एक सुरंग बनाने का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजा गया है। यह सुरंग शहर से भीड़ को रायवाला मोतीचूर की ओर भेजने में मदद करेगी। अगर परियोजना को मंजूरी मिलती है, तो यह तराई क्षेत्र की पहली बड़ी सुरंग होगी, जिससे जाम की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है।
Haridwar Tunnel Project: उत्तराखंड के तीर्थनगरी हरिद्वार में अब ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए एक नई सुरंग बनाने की योजना पर विचार हो रहा है। यह सुरंग पहाड़ों में नहीं बल्कि तराई क्षेत्र में प्रस्तावित की गई है, जो अपने आप में एक अनोखी पहल है। यह प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को हरिद्वार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा सौंपा गया है। यदि यह योजना अमल में आती है, तो यह तराई क्षेत्र की पहली बड़ी सड़क सुरंग होगी।
मनसा देवी पर्वत के नीचे से निकलेगी सुरंग
यह सुरंग मनसा देवी पर्वत के नीचे से निकाली जाएगी, जिससे शहर के भीतर ट्रैफिक का दबाव कम किया जा सकेगा। योजना के अनुसार, इस सुरंग से रायवाला और मोतीचूर तक की यात्रा को आसान बनाया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में सुरंगों के निर्माण का अनुभव पहले से मौजूद है, जैसे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट और चारधाम सड़क परियोजना, जिनमें से अधिकतर मार्ग सुरंगों से होकर गुजरते हैं। अब यही प्रयोग हरिद्वार में भी किया जा रहा है।
बढ़ती भीड़ से राहत पाने का प्रयास
हरिद्वार में धार्मिक आयोजनों, चारधाम यात्राओं और पर्वों के समय भारी भीड़ उमड़ती है। इसके चलते शहर की सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगातार ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। प्रस्तावित सुरंग की लंबाई लगभग 10 किलोमीटर हो सकती है, जो टीबीडी फाटक या भेल से शुरू होकर मनसा देवी के नीचे से मोतीचूर तक जाएगी।
हिल बाईपास नहीं रहा कारगर
फिलहाल हरिद्वार से मोतीचूर जाने के लिए हिल बाईपास का उपयोग किया जाता था, लेकिन यह मार्ग अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कई वर्षों से इस मार्ग पर किसी भी प्रकार का वाहन संचालन नहीं हो रहा है। राज्य सरकार इस मार्ग के सुधार के लिए पहले भी करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया।
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वैज्ञानिकों की राय भी अहम
भूवैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि बिल्व पर्वत, जिसके नीचे से सुरंग निकालने की योजना है, भौगोलिक दृष्टि से कमजोर है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज के तकनीकी युग में सुरंग निर्माण की सफलताएं मिल चुकी हैं, जैसा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन में देखा गया। इसलिए यदि वैज्ञानिक ढंग से इसका सर्वे और निर्माण होता है तो यह परियोजना सफल हो सकती है।
सुरक्षा और तकनीकी अध्ययन होगा आवश्यक
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह परियोजना अभी शुरुआती चरण में है। यदि केंद्र सरकार से इसे मंजूरी मिलती है, तो भू-सर्वेक्षण से लेकर डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तक सभी आवश्यक कार्य किए जाएंगे। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि सुरंग का सबसे उपयुक्त रूट कौन सा होगा और निर्माण के दौरान किन सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होगी।
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पर्यटन और स्थानीय लोगों को होगा लाभ
इस सुरंग के निर्माण से हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी राहत मिलेगी। वर्तमान में हरकी पैड़ी, भीमगोड़ा और बड़ा बाजार जैसे क्षेत्रों में भारी ट्रैफिक देखने को मिलता है। सुरंग बनने से इन क्षेत्रों में यातायात का दबाव कम होगा और लोगों की आवाजाही अधिक सहज और सुरक्षित हो सकेगी।
यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है तो हरिद्वार की यात्रा का अनुभव न केवल भक्तों बल्कि आम नागरिकों के लिए भी पूरी तरह बदल जाएगा। साथ ही यह तराई क्षेत्र में एक नई तकनीकी क्रांति की शुरुआत मानी जाएगी।
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